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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
__ मुनि प्रार्थना सागर
पढ़े वह वहां से चला जाएगा। (६) सरसों और शिव निर्माल्य को मिलाकर जिसके घर में खोद कर गाड़ देवें तो
उसके घर में उच्चाटन हो जाता है और जब उसको निकाल लेवें तो उसके
घर के मनुष्य पुनः सुखी हो जाते हैं। (७) उल्लू पक्षी के पंख को मंगलवार के दिन जिसके घर में खोदकर गाड़ दें,
उसका उच्चाटन हो जाता है। (८) जिसके घर में रविवार के दिन कौवीं का पंख गाड़ दें, उसके घर में उच्चाटन
हो जाता है। (९) तांबे के पात्र पर रेशमी रूमाल चिपकाएँ और उस पर लोहे की कलम से शत्रु का नाम लिखें तो शत्रु का उच्चाटन अवश्य होगा।
(113) कल्प विभाग कतिपय तांत्रिक ग्रन्थों, पुस्तकों व गुटकों आदि में अनेक वनस्पति के कल्प भी मिलतेहैं। मारण, उच्चाटन, स्तंभन के प्रयोग भी इन कल्पों में उपलब्ध होते हैं। यहां 16 प्रकार के कल्प दिये गए हैं। इनके अतिरिक्त इद्रायण कल्प, पंवाड कल्प, सफेद कंटाई कल्प, लाजवन्ती कल्प, शंखपुष्पी कल्प, अपामार्ग कल्प, ऊँट कटारा कल्प, आदि तथा एक प्रकार का नक्षत्र– कल्प भी मुझे और मिला था, जिसमें केवल मारण, उच्चाटन आदि के ही प्रयोग थे। उपरोक्त कल्पों में कई एक के मुझे मंत्र नहीं मिले, किसी का पूरा विधि-विधान नहीं मिला। कुछ में मारण, उच्चाटन, स्तंभन के बड़े उग्र प्रयोग लिखे थे। एतदर्थ उनको मैंने छोड़ दिया। इन सबको सर्वसाधारण में प्रचलित करना मुझे उचित नहीं लगा। इसीलिए वे यहां नहीं दिये गए हैं। परन्तु जो कल्प दिये गए हैं, उनके लिए भी साधकों से मेरा नम्र निवेदन है कि किसी अनिष्ट व दुष्ट भावना से ये प्रयोग कभी काम में न लायें। क्योंकि अपने किये हुए दुष्कर्मों के पाप से अनेक जन्मों में दुख, पीड़ा, कष्ट भोगना पड़ता है। लेकिन हाँ तंत्रों का प्रयोग परोपकार हेतु किया जाता है जिसके लिए शनिवार को संध्या में वृक्ष के पास जावें "मम कार्य सिद्धि कुरू कुरू स्वाहा" इस मंत्र का उच्चारण करके चन्दन, चावल, पुष्प, नैवेद्य, धूप दीप द्वारा उसका पूजन करें व मोली बांधकर आ जावें।
दूसरे दिन रविवार को- पुष्य नक्षत्र के दिन सूर्योदय से पूर्व जावें और मंत्र पढ़कर मूल व पत्ते ले आवें। मंत्र - ॐ नमः सर्व भूताधिपतये ग्रस शोषय भैरवीज्याज्ञापति स्वाहा। घर आकर पुनः मंत्र पढ़कर प्रयोग में लायें।
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