Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 79
________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पान के रस में तालमखाना और मैनसिल पीसकर मंगलवार के दिन तिलक लगा लें तो स्त्री वश होय । 17. 18. 19. तन्त्र अधिकार 20. चिता की भस्म, बच, कूट, केशर और गोरोचन इन सबको बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बनाकर जिस स्त्री के सिर में छोडेंगे वह वश में हो जायेगी। सेंधा नमक, शहद व कबूतर की विष्ठा को पीसकर जो पुरुष अपने लिंग पर लेप करके स्त्री के साथ विषय (काम) करता है वह पत्नी उसे अत्यन्त प्रिय व हृदय का देवता समझने लगती है। गौरोचन व कुमकुम से भोजपत्र पर किसी स्त्री का नाम लिखकर उसे घी व शहद में रखने से वह वशीभूत हो जाती है । नोट : आकर्षण, मोहन, वशीकरण इत्यादि के प्रयोग केवल परमार्थ हेतु किया जाना चाहिए। द्वेष भावनावश या दुर्मति पूर्वक किया गया कार्य पापवर्धक होता है, अतः पापवर्धक कार्य न करें । (110) स्तंभन संबंधी प्रयोग (१) ऊँट के रोमों को किसी पशु पर डाल देने से वह जहां का तहां ही स्तंभित हो जाता है। ( २ ) ऋतुमती स्त्री की योनि के वस्त्र पर जिस मनुष्य का नाम गोरोचन से लिखकर घड़े में बंद कर दिया जाए, उसका स्तंभन हो जाता है फिर वह चल फिर नहीं सकता । एक स्थान पर पड़ा रहता है । ( ३ ) ऊँट की हड्डी को जिस मनुष्य का नाम लेकर पृथ्वी में गाड़ दिया जाए तो उस मनुष्य की गति स्तंभित हो जाती है । ( ४ ) स्तंभन - रविवार को घोड़े व खच्चर की पूँछ का बाल तोड़कर कौड़ी में छेद करके कौड़ी में पिरोकर भुजा में पहनने से स्तंभन होकर स्त्री का सुख पूर्ण मिलता है। ( 5 ) स्तंभन पर तंत्र- ऊँट की हड्डी में छेद करके पलंग के सिरहाने की ओर बांधकर उसी शय्या पर संभोग करने से तब तक स्खलन नहीं होता, जब तक कि हड्डी को खोल नहीं दिया जाता । (6) ऊँट के बालों की रस्सी बनाकर अपनी जांघ में बांध कर संभोग करने से जब तक रस्सी को खोला नहीं जायेगा, तब तक वीर्य स्खलन नहीं होगा । (7) लंगड़े आम की जड़ को कमर में बांधकर संभोग करने से देर तक स्तंभन होता है। (8) फिटकरी के टुकड़े को कमर में बाँधकर संभोग करने से अधिक समय तक स्तंभन 501

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