Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 50
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर आंख के काजल से शत्रु का नाम लिखें व वह पोटली उस पर रख दें व आते समय वह लकड़ी पीछे की ओर फेंक दें। ( 12 )झगड़ा कराने हेतु -मंगलवार के दिन कोयल के पंख से कुम्हार के आंवे से निकले ठीकरे को कूटें और उसे विरोधी के घर में फेंके तो झगड़ा अवश्य होगा। (13) शत्रु के घर कलह कराना – श्वेत अपामार्ग (इसे ओंगा लटजीरा, चिरचिटा आदि नाम से भी जानते हैं) व बरड़ (बडेड़ा) की जड़ जिसके घर में रखते हैं वहाँ क्लेश होता है। कृपया यह पापवर्धक कार्य न करें। ( 14 )प्रतिद्वन्दी भगाने हेतु- रविवार को गुंजा (चिरमिटि, धुंधुची, गुमची, रत्ती भी कहते है) लकर कुंवारी कन्या रजस्वला हो उसके रक्त में गुंजा भिगोकर सुखा लें फिर उसे पीसकर चूर्ण बनायें, दुश्मन के घर दुकान या मुख्य द्वार पर छिड़के तो वह भाग जाएगा। नोट- कृपया कोई भी पापवर्धक कार्य न करें। (77) राजा की तरह सम्मान मिलें (1) श्वेतापूर्वा और हरताल को पीसकर तिलक लगाकर बाहर निकलने पर सम्मान बढ़ता है। (2) लक्ष्मणा की जड़ को सिंदूर के साथ घिसकर तिलक लगाने से उच्चाधिकारियों की कृपा प्राप्त होती हैं। (3) मोर की शिखा अपने पास रखने से सर्वत्र सम्मान की प्राप्ति होती है। (4) राजा की तरह सम्मान मिलें -चमेली के पत्तों पर अपना नाम लिखें फिर उन पत्तों को बारीक पीसकर उनका एक ताबीज बनाएँ और उस ताबीज को अपने बायें हाथ में बांधे तो राजा की तरह सम्मान होगा। (78) जुआ में जीत (1) रवि हस्त नक्षत्र को पमाड़ की जड़, शनिवार को न्यौतकर रविवार को प्रातः ___ उसे लाकर दाई भुजा में बांधने से जुआ में जीत होती है। (2) गोरोचन केशर और असगंध से भोजपत्र पर अपने साथी का नाम लिखकर दिवाली की पूजा करके अपने दाहिने हाथ में बांधे तो आप जुआ जीतेंगे। (3) नक्षत्र रेवती में झाड़ी का पत्ता दाहिने हाथ में बांधे तो जुए, सट्टे में जीत हो। (79) मुकदमे में विजय प्राप्ति का तंत्र 472

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