Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 63
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर ( 6 ) मघा नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर पास में रखें तो रात्रि में दुस्वप्न नहीं आते हैं। (7) आश्लेशा नक्षत्र में धूतरा की जड़ लेकर देहलीज में रखें तो सर्प घर में आने का भय नहीं रहता है। ( 8 ) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ लाकर दूध में पीसकर पिलाने से बांझ स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है । और इसी नक्षत्र में बहेड़े का पत्ता लाकर घर में रखने से शुत्र के घातक टोटकों का प्रभाव नहीं पड़ता। (9) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ को लाकर पास में रखें तो लड़की से लड़का होता I ( 10 ) चित्रा नक्षत्र में गुलाब की जड़ लेकर पास रखे तो भारीर में कष्ट नहीं होता है। (11) स्वाति नक्षत्र में मोगरा की जड़ लेकर भैंस के दूध में घिसकर पीने से काले से गोरा होता है । ( 12 ) अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ लाकर सिर पर रखें तो शत्रु मित्र हो जाते हैं । (13) ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन की जड़ लाकर पास रखें तो राजा के द्वारा सम्मान प्राप्त होगा। ( 14 ) ( 15 ) मूल नक्षत्र में गूलर की जड़ लेकर पास रखें तो दूसरों का द्रव्य मिले। पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में शहतूत की जड़ लेकर स्त्री को पिलाने से योनि संकोच होती है। ( 16 ) श्रवण नक्षत्र में आंवली की जड़ नागरवेल के रस से पीवें तो स्त्री नवयोवनवान होती है । ( 17 ) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर मस्तक पर रखें तो मुर्दा कभी नहीं जलता । (18) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर पास रखें तो चतुर मनुष्य युद्ध में जीत कर आता है । (19) रेवती नक्षत्र में बड़ की जड़ लेकर माथे पर रखें तो दृष्टि चौगुनी होय । आधिक दृष्टि होती है। (20) विशाखा नक्षत्र में पिंडी तगर की जड़ को चावल के पानी के साथ पीने 485

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