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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
दोनों किनारों की मिट्टी, भौरों के द्वारा लाई गई मिट्टी, हाथी, वृषभ के सींग के पड़े हुये स्थान की मिट्टी सिद्धी मिट्टी कहलाती है। नोट- पुस्तक में दिये सभी विशेष प्रयोग वैद्य की सलाह से करें।
(104) आकर्षण संबंधी तंत्र प्रयोग मंत्र- ओं नमों आदि पुरुषाय अमुकस्य आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा । (1) आकर्षण तंत्र- पहले शुभ मुहूर्त में उत्तर की तरफ मुँह करके १२५०० जाप करके
मंत्र सिद्ध कर लें। फिर काले धतूरे के पत्तों के रस में गोरोचन मिलाकर श्वेत कनेर की कलम से भोजपत्र पर जिसको आकर्षित करना है, उस व्यक्ति का नाम लिखे। फिर बेर (बोर) की लकड़ी जलाकर उसके अंगारों पर उसे तपाते समय उपरोक्त मंत्र का १०८ जाप करें। इससे वह व्यक्ति प्रभावित होगा और शीघ्रातिशीघ्र साधक
या प्रयोक्ता के पास आने को आतुर हो उठेगा, आएगा। (3) अनामिका अंगुली के रक्त से भोजपत्र पर सफेद कनेर की कलम से उपरोक्त मंत्र,
जिस व्यक्ति को आकर्षित करना है, उस व्यक्ति के नाम सहित लिखकर मधु में
छोड़ देना चाहिए। इससे उस व्यक्ति का आकर्षण होता है। (4) स्त्री आकर्षण बुरकी (भस्म):- रविवार पुष्य नक्षत्र के दिन ब्राह्मदण्डी लाकर
उसका चूर्ण करें। उस चूर्ण को पूर्वोक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस स्त्री के मस्तक पर डाल दें तो वह आकर्षित एवं काम पीड़ित होकर उद्योग करने वाले पुरुष के
पीछे चली आती है। (5) सर्वजन आकर्षण चूर्ण :- पंचमी के दिन सूर्यावर्त (हुल-हुल) वृक्ष का मूल
लाकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर पूर्वोक्त मंत्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर जिस स्त्री या पुरुष को पान के साथ खिलायें तो वह आकर्षित होकर आपके पास
आवेगा। (6) आकर्षण- स्त्री वशीभूत- इलायची, राल, लालचंदन, मालकांगनी, बच
काकड़ासिंगी, इन सभी सामग्री को मिलाकर धूप देने से स्त्री में आकृष्ट भाव
उत्पन्न होते हैं। (7) संबंध सुधारना- यदि कोई प्रियजन आकर्षित नहीं होता है तो उसके लिए आप
लाल चंदन घिस कर दाहिने हाथ की तर्जनी से उसका नाम पीपल के पत्ते पर लिखें
व जितने अक्षर हों उतनी गोलियाँ बनाकर उसके घर के बाहर फेंके। (8) आकर्षण- अश्लेषा नक्षत्र में देवदारु की लकड़ी लाकर बकरे के मूत्र में भिगोकर, कूट पीसकर सुखा लें, फिर जिसका आकर्षण करना हो उसके मस्तक पर वह चूर्ण
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