Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 49
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पानी में बहा दें व पारसनाथ स्तोत्र का पाठ करें, भय समाप्त होगा। (76) दुष्मन पर विजय (1) शत्रु को भूत दिखें- शमशान की मिट्टी में गिलोय का रस मिलाकर उससे भोजपत्र पर अपने शत्रु का नाम लिखें फिर उस भोजपत्र को शुत्र के घर पर गाड़ दें तो उसे भूत नजर आएंगें। (2) शत्रु को शूल होय- कनेर के पत्ते पर काली स्याही से अपने दुश्मन का नाम लिखें फिर उस पत्ते में कील से छेद करके उसे शमशान में गाड़ दें तो आपके शत्रु को शुल हो उठेगा। (3) शत्रु का मुँह सूजना- लोहे की तख्ती पर रविवार के दिन तेल से अपने शत्रु का नाम लिखें और उस पर जूता मारें तो शत्रु के मुँह पर सूजन 1-2 दिन में आ सकती है। (4) शस्त्र स्तम्भन- शुभ नक्षत्र में ओंगा की जड़ काट लायें उसको पीसकर तन पर लेप करें तो शस्त्र की चोट न लगे। (5) दुष्मन पर विजय- "ऊँ बैरी नाशक होत दूर हूँ फट् स्वाहा' मंत्र पढ़कर एक कटोरी आक का दूध रास्ते में रख दें। बैरी अगले दिन से ही कुत्ते की भांति हो जाएगा तथा फिर कभी बैर न करेगा। (6) चमेली की जड़ को रवि पुष्य योग में लाकर विधिवत धारण करने से शत्रु सहज पराजित हो जाते हैं। (7) शत्रु की नाक बहने लगे- कनेर के पत्ते पर अपने शत्रु का नाम लिखें और उस पत्ते को किसी चीज से काट दें तो शुत्र की नाक बहने लगेगी। (8) अचानक यात्रा- अश्विनी नक्षत्र में पीपल की जड़ लेकर दस अंगुल की कील बनाकर जिसके द्वार पर गाड़ दें वह अचानक लम्बी यात्रा पर चल देगा। (9) शत्रु को परेशान हेतु- यदि शत्रु अधिक परेशान करे तो उसका मल व बिच्छू एक बर्तन में ढंक कर गड्ढा खोदकर दबायें, जब तक दबा रहेगा शत्रु परेशान रहेगा। बर्तन निकालने पर परेशानी दूर होगी। लेकिन यह प्रयोग करें नहीं, क्योंकि इससे भारी पाप लगता है। (10) भयभीत करना- गुंजा की जड़ को तिल के तेल में घिसकर सारे शरीर पर लेप करने से देखने वाले भयभीत होते हैं। (11) शत्रु बाधा- यदि शत्रु परेशान कर रहा हो तो पीड़ित व्यक्ति को शनिवार को काले कपड़े में लोहे का छल्ला, काली उड़द, नीले पुष्प रखकर काले धागे से बांधकर शाम को चौराहे पर रखें व शमी वृक्ष की लकड़ी से मध्य में घेरा बनाकर अपने 471

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