Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 58
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर छोड़कर भाग जाते हैं । धतूरे का गंडा बनाकर जिसकी दाई बांह में बांध दिया जाए तो वह भूत प्रेत की बाधा से मुक्त हो जायेगा। यह प्रयोग रविवार के दिन करना चाहिए। (8) लोहे की अंगूठी बनाकर कृतिका नक्षत्र में पहनने से प्रेत बाधा नहीं सताती है। (9) भूत प्रेत निवारण- सांप की केंचुली, बच, हींग तथा नीम की सूखी पत्तियां पीसकर धूनी देने से भूतप्रेत बाधा दूर होती है। (10) काले धतूरे की जड़ रविवार के दिन बांह में बांधने से भूतबाधा दूर होती है। (11) हस्त नक्षत्र में चम्पा की जड़ लाकर गले में पहनने से भूत-प्रेत बाधा नही सताती। ( 12 ) प्रेतात्मा बुलाना :- सर्प की केंचली को गंधक और तिल के तेल में मिलाकर जलाने पर अर्द्धरात्री में जिस प्रेतात्मा को पुकारा जाता है वह आती है। (13) प्रेत भगाने :-सर्प की केचुली को नीम या सरसों के साथ धूनी देने पर प्रेत भाग जाते हैं। (14) भूतोन्माद :- यदि पीड़ित चिल्ला रहा हो तो तुलसीपत्र जल में डालकर सात परिक्रमा करके जल छिड़कें व शेष जल पिला कर आदेश दें कि वह अच्छा हो गया। ( 15 ) हींग को लहसुन के पानी (रस) में पीसकर नाक में सुंघाए अथवा अंजन कराए तो भूत आदि दूर हो। (16) तुलसी के पत्ते ८, काली मिरच ८, सहदेवी की जड़ रविवार को पवित्र होकर लावें। इन तोनों को मिलाकर कंठ में बांधे तो भूत आदि की बाधा दूर हो। ( 17 ) शाकिनी, प्रेतनी की बाधा निवारण तंत्र- गंधक, गुगल, लाख, लोबान, हाथी दाँत, सांप की कांचली व ग्रसित व्यक्ति के मस्तक का एक बाल लेकर सबको मिला कर पीस कर उसको जलावें और उसका धुंआ दें तो वो बाधा हट जाती है। ( 18 ) मेनशील या बच से भूत बाधा दूर होती है। (97) हाथी भय दूर तंत्र (1) हाथी भय दूर तंत्र- श्वेत अपराजिता की मूल (जड़) हाथ में बाँधने से हाथी का भय नहीं होता है। (2) हाथी वश होय-पुष्यार्क में सूअर की विष्टा जमीन पर नहीं गिरे, उसके पहले ही ग्रहण करके मिष्ठान के साथ में हाथी को खिलाने से हाथी वश में होता है। 480

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