Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 41
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (18)व्यापार में घाटा हो रहा हो तो - शुक्ल पक्ष में एक चुटकी आटा व एक चुटकी नमक लेकर दुकान के मुख्य द्वार के दोनों ओर थोड़ा-थोड़ा छिड़क दें तथा हल्दी से द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं। पांच लौंग व एक जायफल पूजा स्थान में रखें तथा लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। तथा शनिवार के दिन सिन्दूर, चांदी का वर्क, पांच मोतीचूर के लड्डू, चमेली का तेल, एक पान, एक नारियल, 2 लौंग लेकर सात शनिवार तक क्षेत्रपाल जी को भेंट करें तथा एक नींबू लेकर व्यवसाय स्थल के एक कोने से शुरू कर पूरे क्षेत्र में अन्दर दीवारों पर चारों तरफ घुमाये एवं बाहर चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में फेंक दें। ( 19 )व्यापार घाटे में चल रहा हो तो- यदि भरपूर मेहनत के बाद भी व्यापार में बरकत न हो,ग्राहक आना कम हो, माल न बिके, लगातार व्यापार न चल रहा हो तो रविवार को एक मुट्ठी काले उड़द लेकर श्री मंत्र का जाप करते हुए व्यापार स्थल पर ७ बार उतार कर दुकान में बिखेर दें। अगले दिन मोरपंख की झाडू से एकत्र करके चौराहे पर डालें ऐसा ७ रविवार करें व्यापार में उन्नति होगी। ( 20 ) ग्राहक लौटना- यदि दुकान से ग्राहक लौटते हों तो व्यवसायिक परिसर के मुख्य द्वार के सामने या अन्दर लांबी में एक पानी का फव्वारा लगा दें जिससे ग्राहकी अच्छी रहती है। (21) बरकत हेतु- नित्य इष्ट देवकी पूजा व उपासना में लौंग चढ़ाए तथा बुधवार के दिन एक हंडिया में सवा किलो हरी मूंग व दूसरी हंडिया में सवा किलो नमक भरकर दोनों हंडियों को घर में कहीं रख दें। एवं तिजोरी में स्फटिक का श्री यंत्र रखें या लाल गुलाब, लाल चंदन को लाल कपड़े में बांधकर रखें व नित्य निम्न मंत्र की माला फेरे तो अवश्य ही अच्छी बरकत होंगी। मंत्र - ॐ हीं श्रीं कमले कमलाये में मह्यं प्रसीद प्रसीद' अथवा ॐ हीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः। ( 22 ) धन समृद्धि के लिए - रविपुष्य नक्षत्र में श्वेत अपामार्ग ग्रहण कर अपने पास रखें तो निश्चित ही धन की कमी नहीं होगी। या इमली का बांदा अपने घर में रखें तो भी धन सम्पदा में वृद्धि होगी। अथवा श्वेतार्क को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें तो भी निरन्त धनवृद्धि होगी। (23) धन समृद्धि हेतु- शुक्लपक्ष के शुक्रवार को अथवा चन्द्रमा जब भरणी नक्षत्र में आये उस दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर कमलनाल कहीं से प्राप्त कर लें तथा घर ले आयें। फिर शुद्ध जल से धोकर पंचामृत से स्नान करावे व धूप-दीप से पूजा कर हल्दी में रंग कर पीला धागा लपेटें व कमल बीज की माला से लक्ष्मी मंत्र का जाप करके कमलनाल को तिजोरी में रख दें व नित्य धूप अगरबत्ती दें, तो 463

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