Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 24
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (8) बच्चों के दाँत आराम से निकलने का तंत्र- सीपियों की माला बालक के गले में पहना देने से दांत आसानी से आयेंगे । (40) बिस्तर ( शय्या) मूत्र निवारण (1) बच्चा बिगड़ गया हो - उड़द की दाल के कच्चे पापड़ पर साबुत काले उड़द, गुड़, सरसों के तेल का दीपक, दो लोहे की कीलें, लोटे में थोड़े काले तिल डालकर जल, सिन्दूर व लाल गुलाब सजाकर शनिवार को शाम को पीपल के पेड़ के नीचे रखें व लोटे का जल पीपल पर सात शनिवार चढ़ायें । ( 41 ) बच्चे का डरना (1) बच्चे का डरना- रात को सोते समय यदि बच्चा डरे तो उसके सिरहाने फिटकरी का टुकड़ा रखें, (2) यदि बच्चा शयनकाल में चमक जाता हो तो आटे का दीपक बनाकर उसमें रुई की चार बत्तियाँ प्रज्वलित कर बच्चे पर कुमकुम युक्त पानी का पात्र सात बार उतारकर दीपक चौराहे पर रख दें और पात्र के पानी को दीपक के चारों ओर गोलाकृति में बिखेर दें। ध्यान रखें कि ऐसा करके सीधे घर आ जाएं, पीछे मुड़कर न देखें। भले ही कोई भी पीछे से क्यों न पुकारे । (3) अपस्मार रोग शान्त होय-भेड़िये के दांत को बालक के गले में बांधे तो अपस्मार शान्त होय । (( 42 ) नजर लगने पर तंत्र (1) नजर न लगने का तंत्र :- मंगलवार के दिन शुभ मूहूर्त में बिना किसी लोहे के औजार की सहायता से काले धतूरे की मूल का एक टुकड़ा उखाड लायें। इसे काले नमक के एक ढेले के साथ ताबीज में रखकर, काले डोरे में गले अथवा भुजा पर बाँधने से बच्चे और बड़े दोनों ही नजर से बचे रहते हैं । (2) नजर लगने पर तंत्र - यदि जवान व बूढ़े किसी को भी नजर लग गई हो खानापीना छूट गया हो, अस्वस्थ रहने लगा हो तो चौराहे की रेत ( इसको मौन रहकर लाये) में नमक, राई व सात लाल मिर्च साबूत मिलाकर शनिवार व रविवार को तीनों समय (सुबह, दोपहर व शाम को ) सूर्य अस्त के समय उस व्यक्ति के ऊपर से घुमाकर चूल्हे में डाल दें तो उसकी नजर उतर जावेगी । (3) नजर लगना - नजर लगे तो रुई की बत्ती को सरसों के तेल में भिगोकर शनिवार या मंगलवार को बच्चे पर सात बार उतारें तथा उसे चिमटे से पकड़ कर उसका सिरा जलादें तथा नजर वाले व्यक्ति को दिखाते हुए उसको जल में टपकने दें, जब बत्ती 446

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