Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 25
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (6) पूरी जल जाए तो उसे पानी सहित रास्ते पर फेंक दें। (4) नजर लगना- गाय के ताजे गोबर का दीपक बनाकर, उसमें छोटा-सा गुड़ का एक टुकड़ा व सरसों का तेल डालकर घर के प्रमुख द्वार की दहलीज के मध्य जलाकर, नजर लगे व्यक्ति को दिखाकर दीपक की ज्योति को चप्पल अथवा जूते से बुझा दें। (5) रीठे के फल को धागे में बांधकर बच्चे के गले में बांधने से उसे नजर नहीं लगती है तथा हिचकी रोग भी शांत होता है। नजर न लगे- सफेद आंकड़े की जड़ बच्चे के गले में बांधने से नजर नहीं लगती है। (7) नजर दोष- पीड़ित व्यक्ति पर ७ बार नींबू उतार कर २ टुकड़े कर चौराहे पर फेंक दें। (8) दृष्टि दोष- रात्रि में सिरहाने के नीचे नमक की पोटली रखकर प्रातः जल्दी उठकर अपने सिर का उतारा करके फेंक देने से रोग में लाभ होता है। (9) नजर लगने पर- एक नींबू लेकर सात बार उतार के गैस पर या छाने की आँच पर रख दें, जब नींबू आवाज के साथ फूटकर दूर गिरे तो समझना नजर खत्म हो गयी। (10) अस्वस्थ- नजर लगे व्यक्ति के ऊपर चारों ओर से फिटकरी का टुकड़ा घुमाकर चुल्हे में डाल दें। तीन दिन लगातार तीनों समय करें तो व्यक्ति स्वस्थ हो जावेगा। (11) बच्चे चमकना- सोते समय बच्चा चमकता हो तो आटे का दीपक बनाकर ४ रुई की बत्तियाँ जलाकर, पानी में कुमकुम डालकर बच्चे पर ७ बार उतार कर चौराहे पर रखें व दीपक के चारों ओर पानी से घेरा बनाकर, घर लौट आए। (12) हाथी की लीद चाँदी के ताबीज में भरकर बच्चे को पहनाने से भूत-प्रेत बाधा व जादू-टोने का प्रभाव नहीं होता। (43) बुरे स्वप्न नाशक (1) बुरे स्वप्न नाशक- रीछ के पाँच बाल लेकर ताबीज में डालकर कण्ठ में धारण करें। इससे बुरे-बुरे स्वप्न नहीं आएंगे व याददाश्त बढ़ेगी। (44) स्वप्न दोष निवारण (1) स्वप्न दोषः- इस व्याधि को दूर करने का एक अत्यन्त ही सरल प्रयोग है। इसके अंतर्गत निर्गुण्डी के कुछ पत्ते अथवा कमल के कुछ दल पत्र रोगी को अपने बिस्तर के नीचे रखने पड़ते है। ऐसा लगातार २-३ दिनों तक करने से यह व्याधि दूर होती 447

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