Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (46) वाय (2)स्वप्न दोष पर तंत्र-अपनी मां का नाम एक कागज पर लिखकर मस्तक के नीचे रख कर सो जावें तो स्वप्न दोष नहीं होगा। (3) स्वप्न दोष कभी न होय-कृत्तिका नक्षत्र युक्त शुक्रवार को अथवा पुष्यार्क योग में काला धतूरे की जड़ या सफेद धतूरे की जड़ शनिवार को निमंत्रण देकर, रविवार को संध्या काल में नग्न होकर ग्रहण करें, फिर कन्या कतित सूत लपेटकर, धूप देकर, उस जड़ को अपने कमर में बांध ले तो स्वप्न में वीर्य का कभी स्खलन नहीं होता है। (4) काले धतूरे की जड़ 2.4-3.2 ग्राम का टुकड़ा काले कच्चे धागे के डोरे से कमर में ___ बांधने से कमर में बाँधने से स्वप्न दोष होता है। (45) नामर्द बनाने के लिए (1) नामर्द बनाने के लिए -ताँबे के पतरे पर लोहे की कलम से आदमी का नाम लिखें और उसे उसके नीचे रख दें तो वह नार्मद बन जाएगा। (2) काम वासना न सताए -पुष्य नक्षत्र में किसी लोहे के पतरे पर अपने लहू से अपना नाम लिखकर अपने पास रखें तो काम वासना कभी नहीं सताएगी। (46) वीर्य स्तम्भन 1. वीर्य स्तम्भन-श्वेत सरपंखा की जड़ को कमर में बांधने से और दक्षिण जंघा प्रदेश में स्थापित करने से वीर्य का स्तम्भन होता है। 8. उँट के बालों की रस्सी बनाकर अपनी जांघ पर बांध लें तो जब तक उस रस्सी को नहीं खोलेगा तब तक वीर्य स्खलित नहीं होगा। बज्रदन्ती की जड़ को लाल रेशमी डोरे से कमर में बांधकर कार्य करने से स्तंभन काफी समय तक होता है। (बज्रदन्ती को कटसरैया, पियाबांसा, पीत सैरेयक भी कहते हैं।) यह रामबाण प्रयोग है। 4. कामशक्ति- श्वेतआक के टुकड़े को धागे में बांधकर कमर में बांधकर काम क्रिया करने से काम क्रिया की अवधि बढ़ती है। 5. वीर्य स्थंभित- लंगड़े आम की जड़ को कमर में बांधने से पुरूष का वीर्य स्थंभित होता है। (47) संतान प्राप्ति हेतु 1. संतान प्राप्ति हेतु- गुरु पुष्य नक्षत्र के दिन गुंजा (चिरमिटी) की जड़ लेकर उसका चूर्ण कर लें तथा, “ॐ बृं बृहस्पते नमः' मंत्र १०८ बार पढ़कर चांदी के ताबीज में भरकर स्त्री अपने कमर में बांध लें तो इससे संतान सुख अवश्य मिलता है। 448

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96