Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 19
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर पेडू के ऊपर बांधने से संग्रहणी के रोग में लाभ होता है। (4) वायुगोला ठीक- घोड़े की नाल या नाव की कील निकालकर उसका कड़ा बनाकर उसे पहने तो वायुगोला ठीक होय। (5) मंगलवार को गुलाब की जड़ खोदकर लाकर लाल धागे में भुजा में धारण करें। जिससे अजीर्ण संबंधी रोग दूर होते हैं। (18) घुटने का दर्द (1) माजुम सुरेजानं, १२.५ ग्राम गर्म पानी से लेवें तो दर्द घुटने का अच्छा होता है। ___ (19) एक्जिमा रोग (1) कनेर की जड़ की छाल को 4 गुण तिल्ली के तेल में इतना पकायें की जलकर काली हो जाये। छानकर रख ले। इसे हर रोज एक्जिमा पर लगाये तथा 3-4 पीपल की कोपलें भी खायें इस प्रकार एक्जिमा ठीक हो जाता है। (20) मूत्र रोग (1) केले के वृक्ष की छाल का रस गौ के घी के साथ रोगी को दें। जिससे मूत्र की जलन शान्त होती है। इसको सोमवार या चंद्रमा के नक्षत्र (हस्त, रोहिणी, श्रवण) या चंद्रमा के होरा में लायें। (21) दस्तों पर तंत्र (1) दस्तों पर तंत्र- सहदेई की जड़ के सात टुकड़े करके लाल डोरे में लपेट कर कमर में बांधने से अतिसार दूर होता है। (2) दस्त- पत्थर चूल की जड़ तांबे के यंत्र में या कपड़े में रखकर गले में बांधे तो दस्त बन्द हों। ( 22 ) बवासीर रोग ठीक होय (1) मस्सा नष्ट-पिटारी (कांकश्री) की जड़ को संध्याकाल में लेकर कमर में बांधने से इस रोग (मस्सा) का नाश होता है, लेकिन जड़ को चौदस के दिन विधि-विधान पूर्वक लायें। (2) बवासीर-घनिष्ठा नक्षत्र में बबूला का बंदा कमर में बांधे तो बवासीर रोग नष्ट होता (3) दाएं हाथ की मध्यमा में लोहे की अंगूठी पहनने से बवासीर व पथरी रोग ठीक होता है। (4) बवासीर- काले धतूरे की जड़े कम छह मासा प्रमाण चूर्ण कर कमर में बांधे तो प्रत्येक प्रकार की बवासीर नष्ट होती है। 441

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