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तन्त्र अधिकार
मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र
मुनि प्रार्थना सागर
पथरी रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
(28) दुर्बलता दूर करने हेत (1) माधवी की मूल को जल में पीसकर पान करने से स्त्रियों की कमर पतली हो जाती
(2) स्त्रियों की दुर्बलता दूर करने हेतु- कमल गट्टे के चूर्ण को मिश्री मिले दूध के साथ
१ माह तक सेवन करने से शरीर की दुर्बलता दूर होती है। (3) दुबलेपन तथा कमजोरी के लिए :-भांग १०० ग्राम, नागौरी असगंधा १००ग्रा.
ईसबगोल की भूसी १०० ग्राम, विदारीकंद१०० ग्राम, शतावर १०० ग्राम., इन सब का चूर्ण बनाकर ५०० ग्राम, मिश्री का चूर्ण भी अच्छी तरह मिला लेवें, फिर इसमें से तीन ग्राम चूर्ण शीतकाल में गाय के दूध से तथा ग्रीष्मकाल में आंबले के
मुरब्बे से प्रात:काल लें, कुछ ही दिनों में शरीर हष्ट-पुष्ट तथा बलवान हो जाता है। (4) जो पुरुष एक तोला मुलहठी के चूर्ण को घी और चासनी (शहद) में मिलाकर चांटे और दूध का अनुपान करे तो वह अति वेगवान हो जाता है।
( 29 ) अतिसार रोग नाश (1) अतिसार रोग नाश- सहदेई बूटी रविवार को उखाड़कर लाएं और सात टुकडों में बांटकर लाल धागे में पिरो कर के गले में धारण करायें तो रोगी स्वस्थ हो जाएगा।
(30) सूखारोग (1) सूखारोग- मजीठ की लकड़ी में छेद करके लाल या सफेद कच्चे धागे के डोरे में पिरोकर रोग पीड़ित बच्चे के गले में पहना दें तो बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हो
(31) पोलियो निवारण (1) पोलियो निवारण- रविवार के दिन पुनर्नवा की जड़ लाकर सफेद सूत के नौ धागे
लेकर एक डोरा तैयार करें। उन डोरे में पुनर्नवा बूटी को २१ छोटे-छोटे टुकड़े करके माला की तरह अलग अलग बांध दें । तत्पश्चात मूल मंत्र का स्मरण कर रोगी के गले में पहना दें। जब रोगी ठीक हो जाए तो बूटी की माला हरे वृक्ष की डाल पर लटकाकर घर चले आएं।
(32) पीलिया (1) पीलिया :-पीलिया होने पर सिरहाने के पास मूली रखे। (2) पुनर्नवा बुटी की जड़ को साफ करके छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसकी माला रोगी को डालने से कुछ दिनो में पाण्डु रोग (पीलिया) निवारण होता है।
(33) मृगी रोग शान्त
जाएगा
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