Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 12
________________ सूयगडम्मि [1. 1.2.5एवमेगे उ पासत्था ते भुजो विप्पगम्भिया । एवं उवडिया सन्ता न ते दुक्खविमोक्खगा ॥ ५ ॥ जविणो मिगा जहा सन्ता परियाणेण वञ्जिया । असङ्कियाई सङ्कन्ति सङ्कियाइँ असङ्किणो ॥ ६ ॥ परियाणियाणि सङ्कन्ता पासियाणि असङ्किणो । अन्नाणभयसंविग्गा संपलिन्ति तहिं तहिं ॥७॥ अह तं पवेज बझं अहे बज्झस्स वा वए । मुच्चेज पयपासाओ तं तु मन्दे न देहई ॥ ८॥ अहियप्पाहियपन्नाणे विसमन्तेणुवागए । स बद्धे पयपासेणं तत्थ घायं नियच्छइ ॥ ९ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया। असङ्कियाई सङ्कन्ति सङ्कियाइँ असङ्किणो ॥ १० ॥ धम्मपन्नवणा जा सा तं तु सङ्कन्ति मूढगा। आरम्भाई न सङ्कन्ति अवियत्ता अकोविया ॥११॥ सव्वप्पगं विउक्कस्सं सव्वं नूमं विहूणिया । अप्पत्तियं अकम्मंसे एयम मिगे चुए ॥ १२ ॥ जे एयं नाभिजाणन्ति मिच्छादिही अणारिया। .. मिगा वा पासबद्धा ते घायमेस्सन्ति पन्तसो ॥ १३॥ माहणा समणा एगे सव्वे नाणं सयं वए । सव्वलोगे वि जे पाणा न ते जाणन्ति किंचण ॥ १४ ॥ मिलक्खू अमिलक्खुस्स जहा वुत्ताणुभासए । न हेउं से वियाणाइ भासियं तणुभासए ॥ १५ ॥ एवमन्नाणिया नाणं वयन्ता वि सयं सयं । . निच्छयत्थं न जाणन्ति मिलक्खु व्व अबोहिया ॥ १६ ॥

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