Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai

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Page 9
________________ ग्रन्थ-आवरण-चित्र श्री प्रवोधकुमार जी जैन (बी.टेक.) ने तैयार किया है। इस ग्रन्थ को सुंदर रूप में मुद्रित करने में सी.जी ग्राफिक्स, चेन्नई के श्री युत गोपाल जी ने जो सहयोग प्रदान किया वह अत्यधिक प्रसंशनीय है। चित्रों की कलात्मक सजावट के लिये श्री केथा मोहन ने बहुत ही श्रमपूर्ण कार्य किया है। अतः इन सभी के प्रति भी आभारी हूँ। __इस प्रसंग पर मैं श्री एस.एस. जैन संघ के पदाधिकारीगण श्री युत रिद्धकरणजी बेताला, श्री भीकमचन्दजी गादिया, डॉ. उत्तमचन्दजी गोठी एवं श्री महावीरचन्दजी मूथा एवं श्री सुमनमुनि दीक्षा स्वर्ण-जयन्ति-अभिनन्दन समिति के पदाधिकारी श्रीयुत सोहनलालजी कांकरिया, श्रीयुत भंवरलाल जी साखंला व अन्य पदाधिकारियों तथा सदस्यों को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने खुले हृदय से मुझे पूर्ण सहयोग प्रदान किया। उन सभी श्रमणों, श्रमणियों, विद्वान् लेखकों, कवियों का एवं गुरु भक्तों का भी आभार प्रदर्शित करता हूँ जिनकी लेखनी से संस्मरण एवं लेखों की संरचना हुई। श्री भंवरलाल जी बैताला, साहूकारपेठ ने निष्काम एवं मूक भाव से मेरे निवास स्थान से गुरुदेव के विश्राम स्थल तक पहुँचाने में सहयोगी बने रहे अतः उन्हें भी हार्दिक धन्यवाद। , एक धन्यवाद उन सज्जनों को भी प्रेषित कर दूं जिन्होंने माम्बलम-प्रवास के क्षणों में निष्ठापूर्वक सेवा की तथा भोजनादि की समुचित व्यवस्था का ध्यान रखा। एतदर्थ महाराज (रसोइया) श्री सुलतान सिंह राजपुरोहित, श्री प्रभुसिंह राजपुरोहित एवं श्री खेमराज प्रजापत को मैं धन्यवाद देता हूँ। ग्रन्थ-कार्य बहुत ही शीघ्रता से हुआ है और त्रुटि स्वाभाविक है अतः उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। यह ग्रंथ पाठकों को संयम-जीवन और नैतिकता की ओर अग्रसर करता रहेगा तथा मानवता का पाठ पढ़ाता रहेगा, इसी सद्भावना के साथ विराम । जैन जयति शासनम् ! जय जिनेन्द्र !! 4. भद्रेशकुमार जैन, संस्थापक निदेशक __ श्री भारतवर्षीय जैन धर्म प्रचार-प्रसार संस्थान, चेन्नई-७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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