Book Title: Subhashit Padya Ratnakar Part 05
Author(s): Vishalvijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 9
________________ अ० - अध्याय अभि० चिन्ता०- -अभिधान चिन्तामणि अयोगव्यवच्छेदकद्वात्रिंशिका आग० स० ० -- आगमोदयसमिति उप० तरं०- उपदेशतरङ्गिणी जिनश ० - जिनशतक अयोगव्यव $3932823832 ******** सांकेतिक शब्दोनो खुलासो ******** ० त्रि० श० पु० च० - त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र देवाधि० कां० – देवाधिदेव काण्ड दे० ला०- देवचंद लालभाई द्वा०; द्वात्रिं ० - द्वात्रिंशिका धर्मकल्प ० - धर्मकल्पद्रुम परमात्मपं० - परमात्मपच विंशतिका परिच्छे०–परिच्छेद पार्श्व० च० - पार्श्वनाथचरित्र पृ० - पृष्ठ प्र०- प्रकरण प्र० स०- प्रसारक सभा महावीरच ० - महावीरचरित्र य० वि० ग्रं० - यशोविजय ग्रन्थमाला रत्नाकरपं० - रत्नाकरपञ्चविंशतिका शिवपु० शिवपुराण श्रीशं०-श्रीशङ्खेश्वर श्लो० - श्लोक स०-सर्ग सिं० प्र० - सिंघी ग्रन्थमाला ही ० ६० - हीरालाल हंसराज

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