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१०. -
११. उपशान्त ( चारित्र) मोह ( चारित्रमोह) क्षपक
१२. क्षीणमोह १३. जिन
१४.
सुहमरागो (सुहुमम्हि सम्पराये )
उवसंत कसाय खवगे
1
खीणमोह (छदुमत्थोवेदगो)
जिण केवली सब्वण्हू सव्वदरिसी ( ज्ञातव्य है कि चूणि में 'सजोगिजिणो' शब्द है मूल में नहीं है )
चूर्ण में योगनिरोध का उल्लेख है
सुहुम संपराए
उवसंत मोहे
खीणमोहे
सजोगी केवली
सूक्ष्मसम्पराय
उपशान्त- मोह
क्षीणमोह
सयोगी केवली
गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास
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