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ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन
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ऋषिभाषित की पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के प्रति निषेधात्मक जीवन दृष्टि आलोचना का विषय हो सकती है। यह कहा जा सकता है कि ऋषिभाषित पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों की अवहेलना करता है। निश्चय ही हम इस तथ्य से सहमत हैं कि उसमें पारिवारिक सम्बन्धों और दायित्वों की उपेक्षा हुई है, किन्तु उसका मूल कारण उसकी वैराग्यवादी जीवन दृष्टि है। वैराग्यवाद ऋषिभाषित के सभी ऋषियों का एक सामान्य जीवन दर्शन है। यह एक अलग प्रश्न है कि यह वैराग्यवाद उचित है या अनुचित है। यदि ऋषिभाषित संन्यासमार्गी जीवनदृष्टि को लेकर चल रहा है तो उसमें पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों की यह उपेक्षा स्वाभाविक ही है।
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