Book Title: Sramana 1992 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 107
________________ ( १०५ ) जाने-माने उच्च राजनेता गण और प्रबुद्ध चिन्तक सदा पथ-प्रदर्शन हेतु उनकी सेवा में पहुँचते रहे हैं और उनके मौलिक मार्ग दर्शन को पाकर अपने आपको धन्य अनुभव करते रहे हैं। नैतिक शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनकी सेवा अवर्णनीय रही है। वे ज्ञानयोगी थे। ध्यान योगी थे। जप योगी थे। लाखों ही नहीं, करोड़ों व्यक्तियों के अनन्त श्रद्धा के केन्द्र थे। दिनांक २८-३-९२ शनिवार को उन्होंने जैन पद्धति के अनुसार संन्यास-संलेखना कर समाधि पूर्वक हंसते हुए मृत्यु को वरण किया है। जीवन कला के पारखी ने ९३ वर्ष तक हंसते हुए और हंसाते हुए जीवन यापन किया और अन्त समय में हंसते और मुस्कराते हुए मृत्यु को महोत्सव रूप मनाकर सदा के लिए भौतिक देह को उन्होंने त्याग किया। उनका ओजस्वी-यशस्वी और वर्चस्वी जीवन सदा ही प्रेरणा का स्रोत रहा है। हम अनन्त आस्था के साथ उस महागुरु के चरणों में श्रद्धा सुमन समर्पित करते हैं । शायर के शब्दों में फूल एक गुलाब का मुरझा के चला गया। त्याग के अनुराग से खुशबू जगत के दे गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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