Book Title: Sramana 1992 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 125
________________ साभार प्राप्ति १. शीलत्व की सौरभ : लेखक- आचार्य श्री जयन्तसेनसूरि; प्रका श्री राजराजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट, रतनपोल, हाथीखाना, अहमदा-बाद; पृ० सं० ३२; मूल्य : ५००रु०; १९९१ । प्रस्तुत लघुकृति में शीलधर्म के उपासक एवं पालक विजय सेठ और विजया सेठानी की कथा को बड़े ही प्रेरणास्पद ढंग से वर्णित किया गया है । २. चिर प्रवासी - लेखक एवं प्रकाशक : उपरोक्त; पृ० सं० ४० ; मूल्य : ४.०० रु०; १९९१ । प्रस्तुत लघु कृति आचार्य श्री जयन्त विजयजी के मुक्तकों का संग्रह है । ३. सेवा हमारी भाषा - प्रवचनकार : पुष्पदंत सागर, प्रकाशक कुन्दकुन्द प्रकाशन ७३१ रूप महल गेस्ट हाउस, करमचन्द चौक, जबलपुर ( म०प्र०) पृ० सं० : १८; प्रस्तुत कृति में भारतीय राष्ट्रीयता पर मुनिश्री के प्रवचनों का संकलन है | ४. निश्चय नहीं निष्कर्ष कहो - लेखक - प्रकाशक- पूर्वोक्त; पृष्ठ सं० : २६; सहयोग (मूल्य) : रु० दो । ५. प्रस्तुत व्याख्यान में निश्चय को केवल ज्ञेय नहीं मानकर उसके अनुसार जीवन जीने की बात कही गयी है । आचार्य श्री का मानना है कि व्यवहार के पश्चात् ही निश्चयात्यक अनुभव सम्भव होता है । नमस्कार महामंत्र - लेखक : मुनि श्री जयानन्द- विजयजी; पुस्तकप्राप्तिस्थल : शाश्वत धर्म कार्यालय, जामली नाका, थाना (महाराष्ट्र) । प्रस्तुत कृति में पाँचों पदों का आगमिक आधार पर व्याख्यान किया गया है, साथ ही प्रत्येक पद के प्रत्येक शब्द को लेकर उसकी विशिष्टता की चर्चा की गई है । ६. मुक्ति महल का राजमार्ग - लेखक : मुनिजयानन्द विजय; प्राप्ति स्थल: पूर्वोक्त; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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