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( ११३ ) की अध्यक्षता में पद्मश्री बाबूलालजी पाटोदी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर अर्हत्वचन वर्ष-२ (दिसम्बर-८९ से सित-९०) के ४ अंकों में प्रकाशित ३ सर्वश्रेष्ठ लेखों के लेखकों को क्रमशः रु० १००१.००; रु० ७५१.०० तथा रु. ५०१.०० स्मृति चिह्न, शाल एवं श्रीफल समर्पित कर सम्मानित किया गया।
१. डा० पारसमल अग्रवाल, रीडर भौतिकी अध्ययनशाला, विक्रम वि० वि० उज्जैन (म० प्र०) २. डा० ए. व्ही. नरसिंह मूर्ति, प्राध्यापक भा० इ० सं० एवं पुरातत्व, मैसूर वि० वि० मैसूर (कर्नाटक) (अनु०) ३. डा• परमेश्वर झा, प्राचार्य को-आपरेटिव कालेज, बेगूसराय (बिहार)।
उद्घाटन सत्र (१२.१.९२, सायं ४.००-५.३०) में ही श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल ने समागत विद्वानों के प्रति सम्मान व्यक्त किया तथा संस्था के ट्रस्टी श्री कैलाशचन्द्र चौधरी ने संस्था का परिचय दिया। संगोष्ठी के चार तकनीकी सत्रों में निम्न विद्वानों के आमंत्रित व्याख्यान हुए।
१. डा० श्याम सुन्दर निगम, रीडर-भा० इ० सं० एवं पुरातत्व; विक्रम वि० वि० उज्जैन । २. श्री प्रकाश जैन शोध सहायक । ३. डा० रमेशचन्द्र जैन, अध्यक्ष-कम्प्यूटर केन्द्र, विक्रम वि० वि०, उज्जैन । ४. प्रो० लक्ष्मीचन्द्र जैन, निर्देशक आचार्य श्री विद्यासागर शोध संस्थान ५५४, सराफा, जबलपुर ।
५. डा० रूद्रदेव त्रिपाठी, निदेशक ब्रजमोहन बिड़ला शोध केन्द्र विक्रम कीर्ति मन्दिर, उज्जैन । ६. डा० सुरेशचन्द्र अग्रवाल, प्राध्यापक--गणित उच्चशिक्षा संस्थान, मेरठ वि. वि. मेरठ । ७. डा० कमलेश जैन, शोध अध्येता-प्राकृत एवं जैनागम विभाग, श्रमण विद्या संकाय, सं० सं० वि० वि०, वाराणसी। 8. डा० परमेश्वर झा, प्राचार्य-को-आपरेटिव कालेज, बेगुसराय (बिहार) ९. डा० बी० एल० नागार्च, मन्दिर सर्वेक्षण योजना, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल। १०. डा० राममोहन शुक्ल, सहा० प्राध्यापक, वनस्पति, शास्त्र, शासकीय महाविद्यालय, सारंगपुर । ११. ब्र. सुमन जैन, संघस्थ
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