Book Title: Sramana 1992 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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तत्वार्थ की टीकाएँ
मिथ्यादृष्टि सस्वादन
सम्यक्-मिथ्यादृष्टि
(मिश्रदृष्टि) सम्यक्दृष्टि
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क्रम तत्त्वार्थसूत्र कसायपाहुड
समवायांग/षट्खण्डागम मिथ्यात्व मिच्छादिट्ठि (मिथ्यादृष्टि) मिच्छादिट्ठि (मिथ्यादृष्टि)
सस्वादन सम्यकदृष्टि
(सासायण-सम्मादिट्ठी सम्मा-मिच्छाइट्ठी (मिस्सगं) सम्मा-मिच्छादिटठी
(सम्यक्-मिथ्यादृष्टि) सम्यकदृष्टि सम्माइट्ठी (सम्यकदृष्टि) अविरय सम्मादिटठी
अविरदीए ५. श्रावक विरदाविरदे (विरत-अविरत) विरयारिए (विरत-अविरत)
देसविरयी (सागार) संजमासंजम विरद (संजम)
पमत्तसंजए ७. अनन्तवियोजक दंसणमोह उवसामगे (दर्शन मोह- अपमतसंजए
उपशामक) . . ८. दर्शनमोह क्षपक दंसणमोह खवगे (दर्शन मोह-क्षपक) निमट्टिबायरे ९. (चारित्रमोह) चरितमोहस्स उपसामगे अनिअट्टिबायरे
उपशमक (उवसामणा)
प्रमत्तसंयत
अप्रमत्तसंयत
श्रमण, जनवरी-मार्च, १९९२
अपूर्वकरण अनिवृत्तिकरण
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