Book Title: Siddhhem Shabdanushasan Laghuvrutti Vivran Part 04
Author(s): Mayurkalashreeji
Publisher: Labh Kanchan Lavanya Aradhan Bhuvan
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खाट्कृत्वा
खाट्कृय
खाट्कृत्य
च्चि प्रत्ययान्त - शुक्लीकृत्य = अशुद्धसने शुडस झरीने. कृभ्वस्ति... ७-२-१२६ थी त्त्वि प्रत्यय.
अशुक्लं शुक्लं कृत्वा
शुक्लकृत्वा
આ સૂત્રથી શુક્ત ગતિસંજ્ઞક.
शुक्लकृत्वा
गतिः १-१-३६ थी अव्ययसंज्ञा.
शुक्लकृत्वा
शुक्लकृय
शुक्लकृ
शुक्लीकृत्य
-
४
गतिक्व... ३-१-४२ थी तत्पु. सभास
अनञः... ३-२-१५४ थी त्वा नो यप्.
ह्रस्वस्य... ४-४-११3 थी कृ ने अंते त् नो खागम.
डाजन्तः पटपटयकृत्य = पटपट जेवों सवार उसने.
पटत् पटत् + डाच् + कृत्वा
पटपटत् + आ + कृत्वा
पटपटयकृत्वा
पटपटयकृत्वा
उपसर्गः प्रकृत्य
प्र + कृत्वा
प्र + कृत्वा
गतिक्व... ३-१-४२ थी तत्पु. सभास
3779:... 3-2-948 all car cùl ay.
ईश्च्वा... ४ - 3 - १११ थी अनो ई.
ह्रस्वस्य ... ४-४- ११३ थी कृ ने अंते तु नो भागम
-
ગતિસંજ્ઞા થયા પછી ઉપર પ્રમાણે કાર્ય થશે.
झरीने.
धातोः ... 3-1-1 थी उपसर्गसंज्ञा.
આ સૂત્રથી પ્ર ને ઉપસર્ગસંજ્ઞા થવાથી ગતિસંજ્ઞા.
अव्यक्ता... ७-२-१४५ थी डाच्. डाच्यादौ... ७-२-१४८थी पटत् नात् नोसोप. डित्यन्त्य... २-१-११४थी अंत्य अत् नोसोप.. આ સૂત્રથી પટપય નામને ગતિસંજ્ઞા.
ગતિસંજ્ઞા થયા પછી ઉપર પ્રમાણે કાર્ય થશે.
कारिका स्थित्यादौ । ३-१-३.
अर्थः- स्थिति वगेरे (स्थिति-मर्याद्या अथवा वृत्ति (विज)) अर्थभां कारिका નામને ગતિસંજ્ઞા થાય છે.
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