Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३८-३९ 'मेघदूत' जेवां काव्यो आ दृष्टिए नोंधपात्र छे. धार्मिक परंपराओ आ लोकपरंपरानो पोतानी कृतिमां विनियोग कर्यो छे. १ ९ जैन परंपरामां जैन कविओए विरही युगल तरीके नेम- राजुल अने स्थूलिभद्रकोशाने केन्द्रस्थाने राख्या होवाथी बारमासा काव्यप्रकारमां स्वाभाविक रीते ज आ बन्ने पात्रो उपर कविजनोए काव्य रचनाओ करी छे. रायचंद्रसूरि बारमासा अने धर्मसूरि बारमासा जेवी बे-चार रचनाओने बाद करतां मोटा भागनी रचनाओ ( लगभग ५० ) आ युगलने अनुलक्षीने आलेखाई छे. तेमां पण नेमिनाथ विषयक बारमासाओ ज प्राधान्य स्थान भोगवे छे. पिप्पलकगच्छना हीराचंदसूरि अने तपगच्छना चंद्रविजय आ बे सर्जकना स्थूलिभद्र बारमासाओ उपलब्ध छे. अंचलगच्छना डुंगर स्वामीनी 'बारमासा कृति (सं. १५३५) मळी आवी छे, जे वि. सं. ५३३ वर्ष पूर्वनी छे. - भारतमां श्री अगरचंद नाहटाए राजस्थानीमां अने श्री शिवलाल जेसलपुराए गुजरातीमा बारमासा उपर संशोधन कर्तुं छे. विदेशमां पण बारमासा काव्यप्रकार पर संशोधन थयुं छे. तेमां रशियाना झबातिवेल, फ्रांसना शार्लोत वोदविल मुख्य छे. फ्रेंच भाषामा बारमासा साहित्य प्रकाशित थयुं छे. प्रस्तुत 'नेम राजुल बारमासा' अप्रकाशित कृति छे. प्रत्येक मासनी अंतिम कडीमां 'अमृत' नाम अभिप्रेत करेलुं छे. ते उपरथी अनुमान करी शकाय के प्रस्तुत कृति कोइ अमृत नामना श्रावक अथवा तो अमृतविजय नामना कोइ साधु कविनी होवी जोईए. अहीं गच्छ इत्यादिनो स्पष्ट उल्लेख जोवा मळतो नथी. कृतिना रचनावर्षना आधारे कर्तानो समय १९ मी सदीनो जाणी शकाय छे. डॉ. कविन शाहे 'ज्ञानतीर्थनी यात्रा' आ पुस्तकमां अमृतविजयजी (तपगच्छ) कृत 'नेमनाथ बारमासानुं स्तवन' (पृ. १६० थी १६४ ) मां प्रकाशित कर्तुं छे. ते कृति साथ आ कृतिने मेळवतां जणाय छे के बन्ने कृतिनो प्रारंभ, अंत अने मासनो प्रारंभ भिन्न-भिन्न छे तेथी कही शकाय के बन्ने कृतिओना कविओ एक जनाम धरावता होवा छतां जुदा-जुदा छे. तपगच्छना अमृतविजयजीए ३५ कडीओमां, बे देशी, दुहा, ढाळ अने अंते कलशमां काव्यनी गूंथणी करी छे. तेनो प्रारंभ 'समुरंमाता सारदा'.... अने अंत 'वर्णव्या में नेम - राजुल ... थी थयो छे. For Private and Personal Use Only १. प्राचीन मध्यकालीन बारमासा संग्रह, सं. शिवलाल जेसलपुरा, प्र. नरेन्द्र जेसलपुरा, प्रथम आवृत्ति १९७४ पृ. १३३

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