Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० मार्च-अप्रैल - २०१४ प्रस्तुत अभ्यासनी कृतिनो प्रारंभ 'यदुपति जान लइने आव्या... ए प्रमाणे कहीं कविए त्रिषष्ठी शलाका पुरुष चरित्र भाग-८ नी कथानो पातळो दोर खेच्यो छे. ४१ कडीओमां विस्तृत ढाल अने विविध देशीओथी गूंथायेल आ काव्यनी पूर्णाहूति समस्या-उखाणानी शैलीथी थाय छे. __ रचना साल : 'सीलंग रथ काउसग्गना रे, भेदथी वर्ष जाणज्यो' (क, ४१,६) सीलंग रथ : १८०००, द्रव्य कायोत्सर्गना : ४ भेद (गण, शरीर, उपधि, अशुभ भक्तपान व्युत्सर्ग) अने भाव कायोत्सर्गना : ३ भेद (कषाय, भव, कर्मव्युत्सर्ग) छे. तेथी १८४० अथवा १८३० आ कृतिनो समय गणी शकाय. नाम : आ बारमासा काव्यनुं शीर्षक कथावस्तु के नायक-नायिकाना नाम परथी छे. शैली : काव्यनी शैली सरळ, गंभीर अने मनोहारी छे. छंदोबद्ध रचना छे. काव्यमां शब्दालंकार, अर्थालंकार, यमक, उपमा, उत्प्रेक्षा जेवा अलंकारो छुटाछवाया वीखरायेलां छे. प्रत परिचय : प्रस्तुत बारमासानी हस्तप्रत आचार्य श्री कैलारासागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबाथी प्राप्त थइ छे. प्रत नं. ३६२९३ नी प्रतनुं परिमाण २५ X १२ छे. अने आशरे ४० थी ४२ जेटला अक्षरो आलेखाया छे. उपदेश तत्त्व : काव्यना माध्यमथी कवि पत्नीधर्म, पतिधर्म अने अध्यात्मधर्म समजावे छे. शील, सदाचार अने अहिंसानो तेम ज पशुत्वमाथी परमात्मा तरफ जवानो भाव पण निहित छे. प्रयोजन : आ बारमासा काव्य अनुरागना भावोने व्यक्त करे छे. परंतु अंते कवि अनुरक्तिमांथी विरक्ति तरफ दोरी जाय छे. रागमाथी विरागमा प्रवेशवं, लौकिकमांथी लोकोत्तरमा प्रवेश, ए ज जीवननी सार्थकता छे. __कथा घटक : प्रस्तुत बारमासानी कथावस्तु 'त्रिषष्ठी शलाका पुरुष चरित्र' पर्व-८नी छे. बावीसमां तीर्थंकर नेमिनाथ जीवनमा घटेली घटना पर आधारित कथानक, माळखू लई कविए कल्पनाशक्तिथी भावात्मक काव्य सर्जन कर्यु छे. माता शिवादेवी अने पिता समुद्रविजयना पुत्र नेमिकुमारे यौवनवयमा प्रवेश कॉ. श्रीकृष्णना कहेवाथी तेमनी राणीओए नेमिकुमारने लग्न माटे समजाव्या. घणी मुश्केलीए राणीओए मौनने ज संमति गणी श्रीकृष्णने वधामणी आपी. तरत ज जोषीओने तेडाव्या, मुहूर्त विना पराणे मुहूर्त कढावी श्रीकृष्ण नेमिकुमारने For Private and Personal Use Only

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