Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर · ३८-३९ श्रीनाहटाजीए "जैन सत्य प्रकाश'' ना वर्ष ११ना १२मा अंकमां जणावेल ‘पाँच पांडव फागु' अने 'जिनचंद्र सूरि फांगु’ मां जो उपर्युक्त रचनाशैली आलेखायेली न होय तो ‘फाग' नाम आपी शकाय नहि, एवं मारुं मंतव्य छे. ___ 'फागवंध' काव्योमां शंगारिक के फटाणा जेवं वर्णन होवं जोईए एवं नथी होतुं, पण मोटे भागे वसंतवर्णनमां एनो उपयोग थयेलो जोवाय छे. एटले एमां कोई व्यक्तिनुं चरित होय के ऋतुकाव्य होय पण उपर्युक्त पद्धति ज तेमा मुख्य होय छे. श्री कापडियाए आपेली यादीमां, मारी पासे पण एक 'वसंतशंगार फाग' नामे फागबंध काव्य छे, ते पण उमेरी शकाय. एमां एना कर्तानुं नाम नथी. पण एमां विशिष्ट प्रकारनी कवित्वनी चमक छे; एटलं अहीं जणावी दउं छु.थोडा समयमां हुं तेने प्रसिद्ध करवा धारुं छु. जैन मुनिओए जीवनमा उल्लास प्रेरतां काव्यो नथी रच्यां एयूँ कहेनाराओ सामे आवां फागुबंध, बारमासा, विवाहला अने एवा बीजा नामनां विरह काव्यो जवाबरूप छे, एम कहेवू अनुचित नथी. बेशक, जैन मुनिओए उल्लास प्रधान काव्योमां पण संयमनी सीमा तो आंकी ज छे. (२) 'नारीनिरास फाग' अपरनाम 'नेमिनाथ फाग' पण आवा ज प्रकार, सुंदर काव्य छे. मारी पासेनी तेनी एक त्रण पत्रनी प्रति उपरथी में संशोधीने अहीं प्रकाशमां मूक्युं छे. आ काव्यनी खास विशेषता ए छे के 'फागबंध' आ काव्य ते ज कविए रचेला संस्कृत श्लोकोना छायानुवादरूपे आपेलुं छे. आ कलाकार कविए स्त्रीनां ललित अंगो प्रतिनी मानवीय शृंगारभावनाने ख्यालमा राखी तेना प्रति विरागभाव दाखववानो सोमप्रभसूरिनी 'शृंगारवैराग्य तरंगिणी' नी जेम उपदेश आपेलो छे. आ समय काव्यमां भ. नेमिनाथ के राजुल संबंधे प्रथम अने छेल्ला श्लोकमां आपेला नामो सिवाय कशुं वर्णन नथी. आमां नारीना निरासनुं वर्णन ज मुख्य छे, एटले 'नारीनिरास' ए नाम काव्यने उपयुक्त छे. छतां नारीनो निरास करवामां भ. नेमनाथ प्रमुख छे एम सूचवी बीजा नामने पण आमां घटावी सार्थक कर्यु छे. भाषानी दृष्टिए आ काव्यमां पोताना समय करता कंईक प्राचीनतानी छांट छे. जेहं. वनिताहं, कमलाहं जेवा अपभ्रंशना प्रत्ययोनो पण प्रयोग आमां जोवाय छे. शार्दूलविक्रिडित, स्रग्धरा, हरिणी, उपजाति जेवा मोटा संस्कृत 'वृत्तबंध वाळा श्लोकना For Private and Personal Use Only

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