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पं. नंदिरत्नगणिना शिष्य पं. रत्नमंडनगणि
पं. लालचंद्र गांधी
'श्री जैन सत्य प्रकाश'ना ता. १५-३-४७ना गत अंकमां पं. अंबालाल प्रेमचंद शाहनो जे लेख 'फागुबंध काव्यनुं स्वरूप अने नारीनिरासफागना कर्ता' नामथी प्रकट थयेल छे, तेमांनुं केटलुंक विधान गेरसमज करावनार होवाथी अने भने उद्देशीने त्यां सूचन होवाथी ते संबंधमां स्पष्टीकरण करवानी मारी फरज समजुं धुं, जेथी ते लेखक तथा बीजा विचारक वाचको युक्ति-युक्त प्रामाणिक विचारी स्वीकारी शके.
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ते लेखमां पृ. १६७ - १६८मां पं. रत्नमंडन संबंधमां जणावतां लेखके जणाव्युं छे के - xxxxxतेमज पं. लालचंदभाईनी कंईक सुधारावाळी छतां बीजी रीतनी भूलनी परंपरानो ख्याल आवे छे. श्रीरत्नमंडनसूरि अने श्रीरत्नमंदिरगणि बने भिन्न व्यक्तिओ छे एवं पं. लालचंदभाईनुं कथन साधुं छे. पण बने नंदिरत्नना शिष्यो नथी.
श्रीरत्नमंडनसूरि श्रीसोमसुंदरसूरिना के तेमना शिष्य सोमदेवसूरिना शिष्य छे अने रत्नमंदिरगणि सोमसुंदरसूरिना रत्नशेखरसूरि, तेना नंदिरत्नना शिष्य छे. आ हकीकत बीजी रीते पण पुरवार थई शके तेवा छे xxxxतेथी रत्नशेखरसूरिना शिष्य नंदिरनना शिष्य रत्नमंदिरगणि हता, पण रत्नमंडनसूरि नहि, एटलुं नक्की करी शकाय छे.' xxxx 'तेओ निश्चितरूपे श्रीसोमदेवसूरिना शिष्य होवा जोईए. श्री सोमसुंदरसूरिने 'रंगसागर फाग मां स्मर्या छे ए जोतां तेओ तेमना शिष्य अने सोमदेवसूरिना गुरुभाई पण होय.' - ए वगेरे सहसा विधान करतां लेखके विशेष ग्रन्थावलोकन करवा तस्दी लई स्थिर बुद्धिथी विचारणा करी होत तो तेओ एवो उल्लेख करवा न प्रेरात अने सत्य - प्रकाश आपी शक्या होत.
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अस्तु. नीचेनां
प्रमाणो जोतां ए सत्य समजाशे
एवी आशा छे.
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पं. नंदिरत्नगणि. ए. तपागच्छाधिपति सोमसुंदरसूरिना शिष्य हता ( रत्नशेखरसूरिना नहि ) - एम तेमना शिष्य रत्नमंदिरगणिए वि. सं. १५१७मां रचेला भोजप्रबंधना अंतमा सूचित कर्तुं छे
'जातः श्रीगुरुसोमसुन्दरगुरुः श्रीमत्तपागच्छपस्तत्पादाम्बुजषट्पदो विजयते श्रीनन्दिरत्नो गणिः ।
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