Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५ श्रुतसागर - ३८-३९ तद्धितवृत्तिना पानां तरीके ३५मो अंक आच्यो छे. एटले तद्धितवृत्तिनो प्रारंभनो ३४ पानां जेटलो भाग आ प्रतिमां नथी. ए चोत्रीस पानामां तद्धितनो लगभग दोढ अध्याय गूग थयो छे. आ प्रतिनां अत्यारे जे खंडित पानां हयात छे तेमां तद्धितना द्वितीयाध्याय द्वितीयपादना अपूर्ण अंशथी शरूआत थाय छे अने लगभग ४०० मा पाना दरमियानमां दशमा पादनी समाप्ति थाय छे. आ पछी थोकबंध पानां गूम थयां छे. मात्र पांचदश ज छुट्टक पानां छे. आ रीते संघवीना पाडानी प्रति अतिखंडित होई पाछळनां आठ पाद एमां छ ज नहि. ३ डेक्कन कॉलेजमांथी प्रतिनी तपास कराववा छतां हजु ए अंगेनी चोक्कस माहिती मळी शकी नथी के ए प्रति केटली अने क्यां सुधीनी छे. ए माहिती मेळववा माटे प्रयत्न चालु ज छे. तेम छतां अधूरी तपास परथी एम तो चोक्कस जाणवा मळ्युं छे के ए प्रति द्वारा पण प्रस्तुत शब्दानुशासननी पूर्णता थाय तेम नथी. डेक्कन कॉलेजनी आ प्रति ताडपत्र उपर लखाएली अने खंडित छे. प्रस्तुत् व्याकरण पूर्ण न मळे त्यां सुधी आपणे एनी सूत्रसंख्या तेमज स्वोपज्ञवृत्तिनुं चोक्कस प्रमाण जाणी शकीए तेम नथी. परंतु एनी अपूर्ण दशामां पण तेना अध्याय अने पादसंख्या प्रमाण चोक्कस रीते जाणी शकाय तेम छे. खुद आ. श्रीमलयगिरिए तद्धितना नवमा पादना संख्यायाः पाठसूत्रसधो वा ए सूत्रनी स्वोपज्ञवृत्तिमां अष्टावध्यायाः परिमाणस्य अष्टकं पाणिनीयं सूत्रम्। द्वादशकं मलयगिरीयम् ए प्रमाणे जणाव्युं छे एने आधारे जाणी शकाय छे के मलयगिरिशब्दानुशासननी बार अध्याय अने अडतालीस पादमां समाप्ति थाय छे. जो के श्रीमलयगिरिए आ. श्रीहेमचंद्रनी माफक पुष्पिकामां अध्याय अने पादनी नांध विभागवार करी नथी, तेम छतां तेमने एक अध्यायनां चार पाद ज अभीष्ट छे. तद्धितवृत्तिमां आवती इति श्रीमलयगिरिविरचिते शब्दानुशासने तद्धिते द्वितीयाध्याये द्वितीयः पादः समाप्तः आ मुजबनी पुष्पिका अने ते पछी सप्तमअष्टम आदि पादोनी समाप्तिने लगती पुष्पिकाओ आवे छे तेने आधारे नक्की करी शकाय छे. वाडी पार्श्वनाथना भंडारनी प्रति के जे कृद्धृत्ति सुधी समाप्त छे, तेमां पादसंख्या आ प्रमाणे छे :-- पंचसंधिनां पांच पाद, नामनां नव पाद, आख्यातनां दश पाद अने कृत नां छ पाद. आ रीते पंचसंधि अने त्रण वृत्तिनां मळी एकंदर ३० पाद थाय छे. अर्थात् वाडीपार्श्वनाथनी प्रति अध्यायना हिसाबे अष्टमाध्याय द्वितीयपाद पर्यन्तनी छे एम कही शकाय. आमां बीजो अढारपाद जेटलो विभाग उमेरीए त्यारे For Private and Personal Use Only

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