Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३३ श्रुतसागर - ३८-३९ तेमणे आ व्याकरणग्रंथनी रचनानुं कार्य हाथ धर्यु हशे. श्रीमलयगिरिए पोतानी व्याकरणरचनामां संज्ञाप्रकरण आदि प्रत्येक वस्तु माटे शाकटायन, चांद्र वगेरे प्राचीन व्याकरणोने जरूर लक्ष्यमा राख्यां ज हशे, तेम छतां तेमणे पोतानी व्याकरण रचनानां मुख्य केन्द्रस्थान तरीके भगवान् श्रीहेमचंद्राचार्यना स्वोपज्ञ बृहद्वृत्तिसहित सिद्धहेमशब्दानुशासनने ज राखेलु छे. जेम भगवान श्रीहेमचंद्रे व्याकरणना प्रारंभमां सिद्धिः स्याद्वादात अने लोकात् ए सूत्रो गूंथ्यां छे ते ज रीते श्रीमलयगिरिए पोताना शब्दानुशासननी शरूआत सिद्धिरनेकान्तात् अने लोकाद् वर्णक्रमः सूत्रोथी ज करी छे. आ सिवाय श्रीहेमचंद्र अने श्रीमलयगिरि ए बन्ने आचार्योनां शब्दानुशासनोमां सूत्रोनुं लगभग एटलुं वधुं साम्य छे जेथी हरकोई विद्वान् प्रथम नजरे भूलो ज पड़ी जाय. अने तेथी ज आज सुधीमां मुद्रित थयेल आचार्य श्रीमलयगिरिना टीकाग्रंथोमां आवतां व्याकरणसूत्रोना अंको आपवा वगेरेमां खूब ज गोटाळो थइ गयो छे. केटलीक वार ए सूत्रोने सिद्धहेगव्याकरणनां सूत्रो समजी अंको आपवामां आव्या छे अने केटलीक वार पाणिनीय व्याकरणनां सूत्रो समजी तेना अंको आपवागां आव्या छे. ज्यारे केटलांक सूत्रो नहि मळवाने लीधे तेना स्थाननो निर्देश पडतो ज मूकवामां आव्यो छे. __ आ प्रमाणे आ बाबतमां खूब ज गोटाळो थवा पाम्यो छे; परंतु श्रीमलयगिरिनुं शब्दानुशासन जोया पछी ए चोक्कस रीते जाणी शकायुं छे के श्रीमलयगिरिए पोताना टीकाग्रंथोगां जे व्याकरणसूत्रो टांक्यां छे ए नथी सिद्धहेमशब्दानुशासनमां के नथी पाणिनीय व्याकरणनां के बीजा कोइ व्याकरणना; परंतु ए सूत्रो तेमणे पोताना मलयगिरिशब्दानुशासनमाथी ज टांक्यां छे. प्रस्तुत मलयगिरिव्याकरणनी स्वोपज्ञवृत्ति, ए आचार्य हेमचंद्रना सिद्धहेमव्याकरणनी बृहद्वृत्तिनुं प्रतिबिंब ज छे. ए बन्नेय वृत्तिओनी तुलना करवाथी जाणी शकायुं छे. अने ए ज कारणसर आजे मळती मलयगिरिशब्दानुशासननी हस्तलिखित प्रतिओ भारो-भार अशुद्ध होवा छतां तेनुं संशोधन जराय अशक्य नथी एम में खात्री करी लीधी छे. प्रस्तुत् व्याकरणनी रचना आ. मलयगिरिए गूर्जरेश्वर परमार्हत राजर्षि श्रीकुमारपालदेवना राज्य अमल दरम्यान करी छे ए आपणे मलयगिरिशब्दानुशासनना 'ख्याते दृश्ये' (कृत्ति तृतीय पाद सूत्र २२) सूत्रनी स्वोपज्ञवृत्तिमां आवता 'अदहदरातीन् कुमारपालः' ए उदाहरण परथी स्पष्ट रीते जाणी शकीए छीए. आनो अर्थ ए थयो के आचार्य श्रीमलयगिरिकृत जे जे ग्रंथोमां प्रस्तुत शब्दानुशासननां सूत्रो मळे छे. ते ग्रंथोनी रचना प्रस्तुत शब्दानुशासननी रचना बादनी तेमज For Private and Personal Use Only

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