Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४ मार्च-अप्रैल - २०१४ महाराजा श्रीकुमारपालदेवना राज्यमां थएली छे. अथवा एम पण बन्युं होय के श्रीमलयगिरिए पोताना शब्दानुशासननी मूल द्वादशाध्यायीनी रचना गूर्जरेश्वर महाराजा श्रीजयसिंहदेवना राज्य दरमियान करी होय ते आधारे पोताना टीकाग्रंथोमां सूत्रो टांकता होय अने शब्दानुशासन उपरना स्वोपज्ञ विवरण, निर्माण तेओश्रीए महाराजा श्रीकुमारपालना राज्यमा कर्यु होय. ए गर्म तेम हो, ते छतां एक बात तो निर्विवाद ज छ के श्रीमलयगिरिए पोताना शब्दानुशासन उपरनी स्वोपज्ञवृत्तिनी रचना तो श्री कुमारपालदेवना राज्य अमल दरमियान ज करेली छे. आचार्य मलयगिरिकृत स्वोपज्ञशब्दानुशासननी प्राचीन हस्तलिखित प्रतिओ आजे त्रण ज्ञानभंडारोमा छ एम जाणवामां आव्यु छे. एक पाटण-वाडीपार्श्वनाथ ज्ञानभंडारमा कागळ उपर लखेली प्रति. बीजी पाटण-संघवीना पाडाना ताडपत्रीय पुस्तक भंडारमा ताडपत्र उपर लखाएल प्रति. अने त्रीजी पूना-डेक्कन कोलेजना भांडारकर इन्स्टीट्युटना हस्तलिखित पुस्तकसंग्रहमां ताडपत्र उपर लखेली प्रति. आ सिवायनी बीजी जे जे हस्तलिखित प्रतिओ जैन मुनिओना ज्ञानभंडारोमां जोवामां तेमज सांभळवामां आवी छे ते बधीए, जो हुं न भूलतो होउं अने नथी ज भूलतो तो, पाटण-वाडीपार्श्वनाथना ग्रंथसंग्रहनी प्रतिनी नकलो ज छे. अने ए प्रतिओ धरावनार पैकी भाग्ये ज कोइने खबर हशे के एमनी ए व्याकरणप्रति संपूर्ण नहि पण अधूरी ज छे. उपर जणावेली त्रणे प्रतिओ पैकीनी एकेय प्रति. संपूर्ण नथी, तेगज त्रणे प्रतिओ एकठी करवामां आवे तो पण आ. श्रीमलयगिरिकृत शब्दानुशासन पूर्ण थाय तेम नथी. १ पाटण-वाडीपार्श्वनाथना भंडारनी प्रति पंचसंधि, नाम, आख्यात अने कृत् सुधीनी छे. अर्थात् आ प्रतिमां चतुष्कवृत्ति, आख्यातवृत्ति अने कृद्धृत्ति एम ऋण वृत्तिनां मळी एकंदर त्रीस पादनो समावेश थाय छे. परंतु तद्धितवृत्ति के जे अढार पाद जेटली छे ते आ प्रतिमां नथी. २ पाटण-संघवीना पाडानी ताडपत्रीय प्रति अति खंडित छ. ए प्रति मारा धारवा प्रमाणे लगभग ५००पानां जेटली होवी जोइए, तेने बदले अत्यारे एनां मात्र ३३० थी ४५६ सुधीनां ज पानां विद्यमान छे अने तेमां पण वचमां वचमांथी संख्याबंध पानां गूम थयां छे. तेम छतां आ त्रुटित प्रति तद्धितवृत्तिनी होइ एर्नु अति घणुं महत्त्व छे. आ प्रतिमां लेखके आखा ग्रंथना पत्रांको अने दरेक वृत्तिना विभाग सूचक पत्रांको एम बे जातना पत्रांको कर्या छे. ए रीते आ प्रतिना ३३०मां पानामां For Private and Personal Use Only

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