Book Title: Shrutsagar Ank 038 039
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११ श्रुतसागर - ३८-३९ वरघोडे चडाव्या. वरघोडो उग्रसेन राजाने त्यां आव्यो. लग्न निमित्ते वाडामां पुरायेला पशुओनो चित्कार सांभळी दयाळु नेमिकुमारनुं हृदय द्रवी उठ्यु. जीवदया प्रेमी नेमिकुमारे तरत ज रथ पाछो वाळ्यो. वैरागी नेमिकुमार गिरनार चाल्या गया. त्यारे प्रियतमा राजुलना हृदय पर वज्रपात थयो. प्रियतमथी त्यजायेली नायिका राजुलनी विरहावस्था अने वेदनाने आ बारमासामां कविए वाचा आपी छे. कात्य परिचय : यादववंशना श्यामवर्णना कामदेव जेवा सौंदर्यवान नेमिकुमारे राजुलनुं चित्तडूं चोरी लीवू. नव नव भवनी प्रीतडी पलक वारमां तूटी जतां नायिकानुं नानकडु हृदय अवनवा प्रश्नोथी घेरायं. 'शं थयुं हशे? तोरणेथी रथ पाछो वाळ्यो! शुं मारामां कोइ अवगुण देखायो?' पोताना प्रीयतमने पाछा बोलाववा राजुल पथिको द्वारा संदेशो आपता कहे छे : ‘सुंणी पसु पोकार पीउ नाव्या रे, एह संदेशो जइ केज्यो; तोरणेथी रथने व्याल्यो, स्यो अवगुण मुझमां भाळ्यो? अडभवनो प्रेम न किम पाल्यो रे?' (क. १.२) उत्तम गनुष्योनी अविचल टेक अने नीतिशास्त्रनो नियम शास्त्रज्ञ प्रियतमा बतावता कहे छे : 'सज्जनो जेनो एकवार हाथ झालें छे तेने कदी छोडता नथी. तमे उत्तम होवा छतां घरे आवीने बारणेथी पाछा वळ्या?' अहीं नायिका आडकतरी रीते पतिधर्म निभाववानुं सूचन प्रियतमने करे छे. तपगच्छना अमृतविजयजीए लखेल 'नेमनाथ बारमासानुं स्तवन'मां श्रावण मासने प्रथम गणी काव्य वर्णननो कविए प्रारंभ कर्यो छे. सामान्य रीते जोईए तो श्रावण सुद-६ना दिवसे नेमिकुमार जान लइ परणवा आव्या अने ते ज दिवसे परण्या विना ज पाछा फर्या. आ घटनाने अनुलक्षीने ज कविश्रीए पोतानी कृतिमां श्रावणमासने प्रथम स्थान आप्युं छे. ___ ज्यारे प्रस्तुत कृतिमा मागसर मासथी काव्य वर्णननो प्रारंभ करवामां आव्यो छे. गीतामा पण श्रीकृष्णे कर्तुं छे : 'हुँ महिनामा मागसर छु. संभव छे के कविना मनमां गीतानो प्रभाव होय तेथी अथवा चातुर्मास पछीना प्रथम महिनाथी काव्यनो प्रारंभ करवा मांगता होय. शामळिया श्रीकृष्णे गोपीओनुं चित्त चोरी ली, हाँ, तेम राजुलनु चित्त अने प्राण शामळिया नेभिकुमारे चोरी लीधां हतां. निष्प्राण अने नीरस खोळीया वडे आखो जन्मारो वीताववो असह्य थतां प्रियतमा उपालंभ आपी प्रियतमने फूंदाना For Private and Personal Use Only

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