Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 15 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अत्युज्ज्वलैः खण्डविवर्जितैश्च, सत्तण्डुलैर्मौक्तिकतुल्यवर्णैः । नन्दीश्वरे पूर्वगकज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ॥३॥ अक्षतम् ॥ नवम्बर २०१४ [ॐ ह्रीँ [श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्योऽक्षतं समर्पयामीति (यजामीति स्वाहा ॥ ३ ॥ ] मन्दारपुष्पैः सुमनोहरैश्च, सुवर्णमिश्रः सरसैः सुमैश्च । नन्दीश्वरे पूर्वगकज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ॥४॥ पुष्पम् ॥ [ ॐ ह्रीँ [श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [श्री] जिनबिम्बेभ्यः पुष्पं समर्पयामीति (यजामीति) स्वाहा ॥४॥॥] समस्तमिथ्यान्धविनाशदक्षैः (क्षै)- रत्नप्रदीपैर्बहुधाप्रकारैः । नन्दीश्वरे पूर्वगकज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ||५|| दीपम् ॥ [ॐ ह्रीँ [श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्यो दीपं समर्पयामीति (यजामीति स्वाहा ॥५॥] कृष्णागुरुधूपसमुद्भवेन, धूमेन मेघाधिपमेचकेन । नन्दीश्वरे पूर्वगज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ॥६॥ धूपम् ॥ [ ॐ ह्रीँ [ श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्यो धूपं समर्पयामीति (यजामीति) स्वाहा ॥ ६ ॥] रसाल- पूगा - मल-मोच निम्बू - द्राक्षाफलैः सर्वफलप्रधानैः । नन्दीश्वरे पूर्वगकज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ॥७॥ फलम् ॥ [ॐ ह्रीँ [श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्यः फलं समर्पयामीति (यजामीति) स्वाहा ॥७॥॥] अनेक पक्वान्नविधानभूत्यै (तैः), नानारसव्यञ्जनपूरितैश्च नन्दीश्वरे पूर्वगकज्जलाद्रौ, चर्चामि नित्यं भवनाशनाय ॥८॥ नैवेद्यम् ॥ For Private and Personal Use Only [ॐ ह्रीँ [श्री] नन्दीश्वरद्वीपे पूर्वदिग्स्थिताञ्जनगिरौ [श्री] जिनबिम्बेभ्यो नैवेद्यं समर्पयामीति (यजामीति स्वाहा ॥८॥ ]

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