Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 34 मलयपर्वतसम्भवागुरु-चन्दनैर्घनकुङ्कुमैः, सु-घनसारविमिश्रितैर्भवप्रबल (तीव्र) तापविनाशनैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ॥ २ ॥ ॐ ह्रीँ | श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्यश्चन्दनं यजामीति स्वाहा ॥२॥ सरसिसम्भव-पञ्चका(चम्पका) - ऽमलपारिजात सुहेमकैर्जाति-कुन्द-सुगन्धपूरितदिक्चयैर्भमरप्रियैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ॥ ३॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेमभाजनमणिनिविद्धसमाश्रितै र्बहुदीपकैः', सुघनसारविमिश्रितैस्तिमिरापहैर्मणिभासुरैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ||४|| ॐ ह्रीँ | श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ । श्री । जिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ॥३॥ NOVEMBER-2014 अगुरु- चन्दन यक्षधूपभरैः सुगन्धसमाश्रितैभ्रमरपङ्क्ति-नवीनमेघसमानमेचकपूरकैः (वर्णकैः)। उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ||५|| ॐ ह्रीँ [श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ | श्री | जिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥ ॐ ह्रीँ [ श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ । श्री] जिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥ For Private and Personal Use Only १ . प्रथमचरणस्थाने - ‘रत्नटङ्कितहेमभाजनमाश्रितैर्बहुसङ्ख्यकैः ' पाठः चिन्त्यः ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84