Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
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मलयपर्वतसम्भवागुरु-चन्दनैर्घनकुङ्कुमैः, सु-घनसारविमिश्रितैर्भवप्रबल (तीव्र) तापविनाशनैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं),
भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ॥ २ ॥
ॐ ह्रीँ | श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ [ श्री] जिनबिम्बेभ्यश्चन्दनं यजामीति स्वाहा ॥२॥
सरसिसम्भव-पञ्चका(चम्पका) - ऽमलपारिजात सुहेमकैर्जाति-कुन्द-सुगन्धपूरितदिक्चयैर्भमरप्रियैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं),
भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ॥ ३॥
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हेमभाजनमणिनिविद्धसमाश्रितै र्बहुदीपकैः', सुघनसारविमिश्रितैस्तिमिरापहैर्मणिभासुरैः । उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ||४||
ॐ ह्रीँ | श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ । श्री । जिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ॥३॥
NOVEMBER-2014
अगुरु- चन्दन यक्षधूपभरैः सुगन्धसमाश्रितैभ्रमरपङ्क्ति-नवीनमेघसमानमेचकपूरकैः (वर्णकैः)। उत्तरस्थितकज्जलाद्रिजिनेशपङ्कजसुन्दरे (मुत्तमं), भक्तिनिर्झरभरितमनसा चर्चये नन्दीश्वरे ||५||
ॐ ह्रीँ [श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ | श्री | जिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥
ॐ ह्रीँ [ श्री नन्दीश्वरद्वीपे उत्तरदिग्गताञ्जनगिरौ । श्री] जिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥
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१ . प्रथमचरणस्थाने - ‘रत्नटङ्कितहेमभाजनमाश्रितैर्बहुसङ्ख्यकैः ' पाठः चिन्त्यः ।

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