Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
NOVEMBER-2014 माकंदी नामे नगरी छे. कालमेघ राजा राज्य करे छे. त्यां बंधदत्त शेठ अने शेठनां धर्मपत्नी हारप्रभा वसे छे. जयनो आत्मा हारप्रभानी कुक्षिए जन्म ले छे ने तेनु नाम 'धरण' राखवामां आवे छे. विजयनो जीव परिभ्रमण करतां करतां कालक्रमे ते ज नगरीमा कार्तिक शेठने त्यां जयानी कुक्षिए जन्म ले छे ने पुत्री रूपे उत्पन्न थाय छे. तेनुं लक्ष्मी एवं नाम राखवामां आवे छे. भवितव्यता योगे धरण अने लक्ष्मीना विवाह थाय छे. एक प्रसंगविशेषने लईने धरणने चानक चडे छे. ने ते सार्थ लईने परदेश कमावा माटे जाय छे.
अटवीमांथी पसार थतां एक विद्याधरने तेनी आकाशगामिनी विद्यानुं पद संभारी आपवाने कारणे मैत्री थाय छे, विद्याधर धरणने सरोहिणी वनस्पति आपे छे. आगळ वधता एक पल्लिपतिने आ वनस्पतिना प्रभावे जीवितदान आपे छे. त्यांथी आगळ एक नगरना पादरमा मौर्य नामना चंडाळने बचावे छे. .
आम अनेक उपर उपकार करवा; ए ए व्यसन बनी जाय छे. व्यापारमा सारं धन उपार्जन करीने पोताना नगर तरफ पाछो फरे छे. जे अटवीमांथी प्रथम पसार थयो हतो ते ज कादंबरी अटवीमांथी फरी पसार थतां भिल्लो तेना सार्थने लूटे छे. अने सर्व छिन्न-भिन्न थई जाय छे. धरण अने लक्ष्मी सार्थथी छूटा पडी जईने क्यांना क्यांय नासी जाय छे.
अटवीमां लक्ष्मीने तृषा अने क्षुधा लागे छे. धरण वनस्पतिना प्रभावे पोतार्नु रुधिर अने मांस तेने आपे छे. आवो तो एक पाक्षिक स्नेह छे. जेवो धरणमां नेह छे, तेवो ज सामे द्वेष छे, प्रतिक्षण धरणना दुःखे लक्ष्मी राजी थाय छे. नासता भागता ते बन्ने एक नगरे पहोंचे छे. त्यां नगर बहार एक देवकुलिकामां रात रह्या छे. त्यां एक चोर आवी चडे छे. तेनी साथे लक्ष्मी जाय छे ने धरणने माथे चोरी- आळ चडे छे.
तेमांथी मौर्य तेने बचाको छे ने फरी पाछी लक्ष्मी तेने मळे छे. त्यांथी अनेक दुःखो सहन करतां फरी कादंबरी अटवीमा आवी चडे छे. भिल्लपतिनो समागम थाय छे. ते ओळखे छे ने पोताना अकृत्यनो खूब पश्चात्ताप करतो ते धरणने सर्वस्व समीने विदाय आपे छे. धरण पोताने नगर आवे छे.
केटलाक समय बाद फरीथी धरण परदेश कमावा नीकळे छे. लक्ष्मी पण साथे ज छे. धनना अधिक लाभ माटे समुद्रयाला करे छे. वहाण भांगे छे, हाथमां पाटियु आवे छे ने धरण तरतो तरतो सुवर्णद्वीप पहोंचे छे. चीन तरफथी आवतो एक सुवदन श्रेष्ठीपुत्र त्यां आवे छे. तेनी साथे धरण जाय छे पण सुवर्णद्वीपनी देवी कोपे छे ने धरण
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