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कालागरुर्दहनमध्यगतः समन्ताः ल्लोकोत्तरं परिमलं प्रकटीकरोति ॥ १ ॥
सातमो भव:
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NOVEMBER-2014
पूर्वानुसंधान गाथा आ प्रमाणे छेः
वक्खायं जं भणियं, धरणो लच्छी य तह य पइमज्जा । एत्तो सेणविसेणा, पित्तियपुत्त त्ति वोच्छामि ॥१॥
चंपा नामे नगरी छे. अमरसेन राजा छे. जयसुन्दरी महाराणी छे. जयसुन्दरीनी कुक्षिए धरण जन्मे छे, ने तेनुं नाम 'सेन' राखवामां आवे छे. वखत जतां लक्ष्मीनो जीव महाराजाना नाना भाई युवराज हरिषेणने त्यां तारप्रभानी कुक्षिए पुत्र पणे जन्म ले छे तेनुं नाम 'विषेण' राखवामां आवे छे.
एक केवली साध्वीजीनी आत्मकथा सांभळीने घणाए पौरजन सहित राजा अमरसेन पुरुषचंद्रगणी पासे दीक्षा ले छे ने हरिषेण राजा थाय छे. परम सज्जन स्वभावे अने प्रकृष्ट पुण्योदयने लईने सेनकुमार राजा प्रजा अने सकल परिवारने पूर्ण प्रीतिपात्र छे.
फक्त विषेणने छोडी दईने जेम जेम सेन तरफनुं आकर्षण सर्वनुं वधतुं जाय छे. तेम तेम विषेणनो विपरीत भाव पण वधतो जाय छे. विषेण सेनने मारी नाखवा मारा मोकले छे पण तेओ पकडाई जाय छे ने बाजी ऊंधी वळे छे.
राजा हरिषेणने पोताना ज पुत्र पर घणो क्रोध आवे छे पण सेनकुमार पोताना अपूर्व सौजन्यथी ए सर्वनुं सान्त्वन करे छे. केटलाएक काळ पछी जाते ज विषेणकुमार सेनकुमारने मारवा उद्यत थाय छे पण ते फावी शकतो नथी. स्वच्छ हृदयना सेनकुमारने विषेण शा कारणे आम करतो हशे ते समजातुं नथी.
ते पोतानी प्रिया साथै राज्य छोडी चाली नीकळे छे. प्रवासना अनेक कष्टोने अनुभवता तेओ आगळ वधे छे. प्रियतमानो वियोग थाय छे ने छेवटे प्रियमेलकतीर्थ तेमनो समागम करावे छे ने पर राज्यमां पण परम आह्लाद अनुभवे छे. पोताना राज्यनी स्थिति विषेणना हाथे विषम बनी छे. ते सुधारवा प्रयत्न करे छे छतां प्रयत्नो कारगत निवडता नथी.
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हरिषेण आचार्य के जेओ संसार पक्षे पोताना काका थाय छे. तेओने मुखे कर्म अने संसारनी विचित्रताओ सांभळीने सेनकुमार, शान्तिमति प्रिया अने मंत्री आदि