Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 80 NOVEMBER-2014 गाँधी को चिकागो भेजने का निर्णय लिया और श्री गाँधी ने पूज्यश्री के ग्रंथ के आधार पर वहाँ सर्वधर्म सभा को संबोधित किया तथा लोगों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित उत्तर देकर जैनधर्म की विशिष्टता एवं महत्ता स्थापित की. ___आज जैन एवं जैनेतर समाज में बहुत कम लोग ही जानते हैं कि उस सर्वधर्म सम्मेलन में हिन्दू धर्म के सदस्य के रूप में स्वामी विवेकानन्द के साथ जैन धर्म के सदस्य के रूप में श्री वीरचंदजी गाँधी ने भाग लिया था. ___श्री वीरचंदजी गाँधी वहाँ किसके प्रतिनिधि के रूप में गये थे और किस प्रकार उन्होंने जैन धर्म की विशेषताओं को प्रस्तुत किया था यह सब भी जैनेतर की तो बात ही नहीं जैन समाज के भी बहुत कम लोग ही जानते हैं. प्रस्तुत ग्रंथ के अध्ययन से पाठकों को यह अच्छी तरह से ज्ञात होगा कि उस समय किस प्रकार जैन धर्म का प्रचार-प्रसार भारत के बाहर किया गया. इस ग्रंथ में जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रतिपादन बहुत ही सुन्दर ढंग से विस्तार पूर्वक किया गया है. ईश्वर, ईश्वरकर्तृत्व, कर्मसिद्धांत आदि का विशिष्ट विवेचन किया गया है. आत्मा के शुद्ध स्वरूप को जानने के लिये देव, गुरु और धर्म का आराधन एवं अवलम्बन आवश्यक होता है. । प्रस्तुत ग्रंथ का अध्ययन इनके वास्तविक स्वरूप को समझने में सहयोगी सिद्ध होगा. साथ ही वाचकों को यह विदित होगा कि शिकागो सम्मेलन में जैन धर्म के प्रतिनिधि ने भी उपस्थित होकर किस प्रकार धर्म को प्रतिष्ठित किया. पूज्य आचार्य श्री पुण्यपालसूरिजी ने इस ग्रंथ का संपादन व पुनःप्रकाशन करवा कर जैन समाज पर बहुत बड़ा उपकार किया है तो साथ ही पूज्य मुनि श्री संयमकीर्तिविजयजी ने गुजराती भाषा में अनुवाद कर गुजराती भाषा-भाषी वाचकों के लिए इस ग्रंथ सरल एवं सुबोध बनाने का जो अनुग्रह किया है वह सराहनीय एवं स्तुत्य कार्य है. भविष्य में भी जिनशासन की उन्नति एवं श्रुतसेवा में समाज को इन महात्माओं का अनुपम योगदान प्राप्त होता रहेगा, ऐसी शुभेक्षा सहित, कोटिशः वन्दन. For Private and Personal Use Only

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