Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 40 SHRUTSAGAR NOVEMBER-2014 ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे उत्तर दिशाश्रितारती(ति)कराष्टके [श्री] जिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ॥३॥ विल्विषान्धकारनाशनायबोधिनायजे राज्यरत्नदीपकैर्निशान्धकारनाशनैः। द्वीपनन्दिनामनीह चाऽष्टके रतीकरे पूजयामि शाश्वतान् जिनेश्वरान् सुभक्तितः ॥४॥ ॐ ह्रीं [श्रीनन्दीश्वरद्वीपे उत्तर दिशाश्रितारती(ति)कराष्टके |श्री] जिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥ वासनाऽऽगतद्विरेफनीलितान्तरिक्षकैःश्चन्दनोद्भवैः समं सुगन्ध(न्धि)धूप-सिह्नकैः। द्वीपनन्दिनामनीह चाऽष्टके रतीकरे, पूजयामि शाश्वतान् जिनेश्वरान् सुभक्तितः ॥५॥ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे उत्तर दिशाश्रितारती(ति)कराष्टके [श्री) जिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥ पुण्यपुञ्जकैरिवाक्षतै[व]रखण्डितैरिन्दुकान्ति-नीरनाथफेनभासुनिर्मलैः। द्वीपनन्दिनामनीह चाऽष्टके रतीकरे, पूजयामि शाश्वतान् जिनेश्वरान् सुभक्तितः ॥६॥ ॐ ह्रीं [श्रीनन्दीश्वरद्वीपे उत्तर दिशाश्रितारती(ति)कराष्टके [श्री] जिनबिम्बेभ्योऽक्षतं यजामीति स्वाहा ॥६॥ घोट(घोण्ट)-लाङ्गलीफलैः सुबीजपूर-निम्बुकैरंशुमत्फला-ऽऽम्रकैरभीष्टदानदक्षकैः। द्वीपनन्दिनामनीह चाऽष्टके रतीकरे, पूजयामि शाश्वतान् जिनेश्वरान् सुभक्तितः ॥७॥ ॐ ह्रीं [श्रीनन्दीश्वरद्वीपे उत्तरादिशाश्रित]रती(ति)कराष्टके [श्री] जिनबिम्बेभ्यः(भ्यो) फलं यजामीति स्वाहा ॥७॥ For Private and Personal Use Only

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