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श्रुतसागर
नवम्बर-२०१४ मान्यता सिद्ध करी छे अने जैन तत्त्वो संबंधी श्री शंकराचार्य वगेरेना विचारोनी समालोचना करीने जैनतत्त्वोनी मान्यतानुं प्रतिपादन कर्यु छे. जैनेतर धर्मशास्त्रोमां प्रतिपादित आत्मा, परमात्मा, कर्म वगेरे तत्त्वोनी चर्चा करीने जैनशास्त्रोमां प्रतिपादित आत्मा, परमात्मा, मोक्ष, कर्म वगेरे तत्त्वोनो अनेक सापेक्ष दृष्टिथी विचार करवामां आव्यो छे.
योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी- गुजराती तेमज संस्कृत भाषा परनुं प्रभुत्व स्पष्ट वर्ताई आवे छे. बुद्धिसागरजीए एक लेखक तरीके जनसमुदायने बोधदायक पुस्तकोनुं बहुमोटुं प्रदान कर्यु छे. आत्मज्ञान अने अध्यात्मज्ञान जेवा गहन विषयने वाचको सहज रीते समजी शके ते रीते भाषानो उपयोग कर्यो छे. एमना १०८ ग्रंथ शिष्यो मोटुं प्रदान तो छे ज. परंतु एमने लखेली रोजनिशी- पण तेमनी कलमनी विशेषतानुं दर्शन करावे छे. श्रीमद् बुद्धिसागरजीए बुद्धिप्रभा मासिक द्वारा पण पोतानी लेखिनी अनेक विषयोमां चलावी छे. आम समग्र रीते जोईए तो बुद्धिसागरसूरीश्वरजी एक महान विचारक, लेखक, रोजनिशीकार अने विशिष्ट मासिकना संपादन तरीके समाजमां प्रसिद्ध थया छे.
संदर्भ साहित्य १. पोरवाल, रेणुका जिनेन्द्र, योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज : एक अध्ययन, महेसाणा, श्री सीमन्धरस्वामि जिनमंदिर पेढी अने
ओसियाजी तीर्थ, श्री सीमन्धरस्वामि जिनमंदिर कार्यालय इ. स. २००३, पृ. ५६०, किं. रू. ५०. २. जयभिख्खु अने पादराकर, योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी, मुंबई __ श्री अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडळ, पृ. १७+३६८+१५२, इ.स. १९५० ३. बुद्धिसागरसूरि स्मारक ग्रंथ, मुंबई, अध्यात्म ज्ञानप्रसारक मंडळ, ई. स. १९२६,
पृ. २२० ४. उदयकीर्तिसागर, आपणा सहुना बुद्धिसागर, विजापुर, श्रीमद् बुद्धिसागरसूरि जैन
समाधि मंदिर, पृ. १३२, इ. स. २००३, किंमत रू. ४०. ५. अकलंकविजयजी म. सा. (संपा.), बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. नी जीवनझरमर
सं. २०४६, पृ. ८०
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