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श्रुतसागर
नवम्बर-२०१४ आ कथा लगभग दसहजार श्लोक प्रमाण छेः संक्षेपमा कथा वस्तु आप्रमाणे छे.
प्रारंभमां मंगलादि करीने कथाना प्रकरोनुं सुन्दर स्वरूप वर्णव्यु छे. सुन्दर पीठिका रचीने कथानो अवतार कर्यो छे.
पीठिकाळो :- आ कथानी बीजभूत त्रण गाथाओ के जे प्राचीन छे. ते आपी छे ते नीचे प्रमाणे छे.
गुणसेण-अग्गसम्मा१, सीहाऽऽणन्दायर तह पियाउत्ता। सिहि-जालिणि३ माइ-सुया, धण धणसिरितिमोय४ पइ-भज्जा। जय-विजया५ य सहोयर, धरणो लच्छीय६ तह पईमज्जा। सेण-विसेणा७ पित्तिय-उत्ता जम्मम्मि सत्तमए॥ गुणचंद-वाणमंतर८, समराइच्च९ गिरिसेणपाणो उ। एक्कस्स तओ मोक्खो, बीयस्स अणन्तसंसारो॥
आ नव भवनु विस्तारथी वर्णन करीने कथा नव विभागमां वहेंचायेली छे. एक एक विभागमां एक भवनुं वर्णन आवे छे. प्रथमभव:. गुणसेन राजपुल छे अने अग्निशर्मा पुरोहितपुत्र छे. शरीरे अने स्वभावे विचित्र पुरोहितपुत्र सर्व- उपहासपात्र छे. संसारथी कंटाळीने ते तापस बने छे ने राजपुत राजा थाय छे. भव्य तपस्वी तापसना आश्रममा एकदा राजा जई चडे छे अने सर्वनो परिचय मेळवतां अग्निशानो पण परिचय मेळवे छे. महिनाने पारणे महिनाना उपवासनु तप तपता अग्निशर्माने जोई राजानुं हृदय भक्तिथी आर्द्र बने छे ने तेमां पण एक जग्याएथीज मळे तेज वापरवं. न मळे ने फेरो खाली जाय तो आगळ महिनाना उपवास चालु करवा. आ सांभळी राजा खूब ज चकित थाय छे. पोताने पारणानो लाभ आपवा आग्रहभरी विज्ञप्ति करीने राजा पोताने आवासे आवे छे.
पारणे अग्निशर्मा राजाने त्यां जाय छे, दिवसोथी झंखतो राजा ते ज दिवसे अवर्णनीय माथानी वेदनाथी पीडाय छे, सर्व परिवार राजानी परिचर्यामां पड्यो छे. अग्निशर्मा थोडो समय रोकाईने चाल्यो जाय छे. स्वस्थ थया पछी राजा तपास करे छे ने खूब ज खिन्न थाय छे. आश्रमे जईने मनावे छे, ने आवतुं पारणु पोताने त्यां थाय एवं नक्की करीने आवे छे. बीजा पारणाने ज दिवसे राजाने त्यां राणीने पुत्रजन्म थाय छे ने ते व्यवसायमां पडेलो बधो परिवार आवेला अग्निशर्मानी संभाळ लेतो नथी. पारणानो
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