Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
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चम्पका ऽमलकेतकी मचकुन्द-जाति- सुचम्पकैः, पारिजातक - मल्लिका- बकुलोद्गमादिप्रसूनकैः नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥३॥
ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यश्चन्दनं यजामीति स्वाहा ॥ २॥
भासुरैरत्नसञ्चयैस्तिमिरापहैर्मणिदीपकै-, हेमभाजनसंस्थितैर्घनसारयुग्मविनिर्मितैः (?)। नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरूहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥४॥
ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ||३||
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ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥
शुद्धधूप- दशाङ्गमिश्रितधूमधूमितदिक्चयैः, गन्धिद्रव्यसभव्यनिमि (र्मि) तसञ्चयैरघदाहकैः (?) । नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥५॥
ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥
शुद्धशालिसमुद्भवेन मनोज्ञपङ्कजवासिना, निस्तुषामल - खण्डवर्जित- तण्डुलामलराशिना । नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥६॥
नवम्बर २०१४
ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्योऽक्षतं यजामीति स्वाहा ॥६॥
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