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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 23 चम्पका ऽमलकेतकी मचकुन्द-जाति- सुचम्पकैः, पारिजातक - मल्लिका- बकुलोद्गमादिप्रसूनकैः नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥३॥ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यश्चन्दनं यजामीति स्वाहा ॥ २॥ भासुरैरत्नसञ्चयैस्तिमिरापहैर्मणिदीपकै-, हेमभाजनसंस्थितैर्घनसारयुग्मविनिर्मितैः (?)। नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरूहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥४॥ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ||३|| Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥ शुद्धधूप- दशाङ्गमिश्रितधूमधूमितदिक्चयैः, गन्धिद्रव्यसभव्यनिमि (र्मि) तसञ्चयैरघदाहकैः (?) । नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥५॥ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥ शुद्धशालिसमुद्भवेन मनोज्ञपङ्कजवासिना, निस्तुषामल - खण्डवर्जित- तण्डुलामलराशिना । नन्दीश्वरे दक्षिणदिगाश्रितदधिमुखाद्रिचतुष्कके, जिनराजचरणसरोरुहं संचर्चयामि सुभक्तितः ॥६॥ नवम्बर २०१४ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे याम्यदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्योऽक्षतं यजामीति स्वाहा ॥६॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525295
Book TitleShrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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