Book Title: Shrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30 SHRUTSAGAR NOVEMBER-2014 ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के __ श्रीजिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥ दशाङ्गधूपोद्भवधूमजालैः, कृष्णागुरुस्थैर्नवनीरदाभैः। नन्दीश्वरे पश्चिमदिग्गतेषु, दधीमुखेषु प्रभुमर्चयेऽहम् ॥५॥ ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के ___श्रीजिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ॥५॥ अखण्डितैः शालिसमुद्भवैश्च, मुक्ताफलौघैरिव वावृषौधैः(तण्डुलौघैः)। नन्दीश्वरे पश्चिमदिग्गतेषु, दधीमुखेषु प्रभुमर्चयेऽहम् ॥६॥ ॐ ह्रीँ श्रीनन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के ___ श्रीजिनबिम्बेभ्योऽक्षतं यजामीति स्वाहा ॥६॥ सदाम्र-(मोचा-ऽऽम्र-)जम्बीर-सदाफलौघैः, सच्छ्रीफलैः पूग-लविङ्ग-द्राक्षैः। नन्दीश्वरे पश्चिमदिग्गतेषु, दधीमुखेषु प्रभुमर्चयेऽहम् ॥७॥ ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्यः(भ्यो) फलं यजामीति स्वाहा ॥७॥ सत्पायसान्नै-घनशर्कराद्यै (धूतपूरकैश्च), र्द(द)ध्योदनै-wञ्जन-सूप-पूपैः। नन्दीश्वरे पश्चिमदिग्गतेषु, दधीमुखेषु प्रभुमर्चयेऽहम् ॥८॥ ॐ ह्रीं श्री नन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के ____ श्रीजिनबिम्बेभ्यो नैवेद्यं यजामीति स्वाहा ॥८॥ नीरादिद्रव्यैर्विशदैस्त्रिशुद्ध्या-प्रोत्तारयामीति विभुं महाघम्। (कै-श्चन्दनैः पुष्प-सुदीप-धूपैः, सत्तण्डुलै-रन्न-फलैश्च सर्वैः) नन्दीश्वरे पश्चिमदिग्गतेषु, दधीमुखेषु प्रभुमर्चयेऽहम् ॥९॥ ॐ ह्रीं श्री नन्दीश्वरद्वीपे पश्चिमदिगाश्रितदधिमुखचतुष्के श्रीजिनबिम्बेभ्योऽर्घ यजामीति स्वाहा ॥९॥ ॥ इति पश्चिमदिग्गतदधिमुखचतुष्कस्थितजिनबिम्बपूजा ॥ For Private and Personal Use Only

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