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समाधान–देव और नारकी सम्यग्दृष्टि जीवों का मनुष्यों में उत्पन्न होकर उपशम श्रेणी पर
आरोहण करके और फिर नीचे उतरकर सासादन गुणस्थान में जाकर मरने पर
सासादन गुणस्थान सहित निकलना होता है। पं० बालचन्द्र शास्त्री के षट्खण्डागम-परिशीलन में हमें जो कमी प्रतीत हुई उसे हमने पूर्ण करने का प्रयत्न किया है। इसे पढ़कर पाठक बहुत कुछ जान सकेंगे। पं० बालचन्द्र जी शास्त्री का यह कृतित्व महत्त्वपूर्ण है । उन्होंने इसमें अपने अनुभव का पूरा उपयोग किया है, और इस प्रकार यह एक विद्वत्तापूर्ण रचना बन गयी है ।
- कैलाशचन्द्र शास्त्री
१६/ पखण्डागम-परिशीलन
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