Book Title: Sanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak Author(s): Shitalprasad Bramhachari Publisher: Jain Hostel Prayag View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥प्रकाशक का वक्तव्य ॥ कोई आठ मास हुए जब ब्रम्हचारी जी की 'बंगाल बिहार और उड़ीसा के जैन स्मारक' नामक पुस्तक प्राचीन श्रावकोद्धारिणी सभा कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुई थी। इसका जनता ने अच्छा श्रादर किया और ऐतहासिक प्रश्नों की तरफ अपनी रुचि दिखाई । अब ब्रम्हचारी जी की उसी सिलसिले की दूसरी पुस्तक : संयुक्तप्रान्त के जैन स्मारक' प्रस्तुत है। जैनियों के एक सिलसिलेवार इतिहास लिखे जाने से प्रथम इस प्रकार की हर एक प्रान्त की पुस्तकें लिखा जाना बहुत आवश्यक है। आशा है ब्रम्हचारी जी का चलाया हुश्रा यह क्रम चलता ही जायगा। प्राचीन जैन स्मारकों से इतिहास निर्माण में कितनी सहायता मिली है व और कितनी आशा की जाती है यह सब पुस्तक की भूमिका में विस्तृतरूप से बतलाया गया है। ब्रम्हचारी जी के अनुरोध से इस पुस्तक के प्रकाशन का कार्य मुझे करना पड़ा है। इसकी छपाई आदि का प्रबन्ध करने में मुझे बाबू लक्ष्मीचन्द्रजी जैन एम. ए. से बहुत सहायता मिली है-इसकी छपाई सफ़ाई में यदि कुछ सौन्दर्य हो तो उस सबका श्रेय मेरे इन परममित्र को ही है। उन्हें मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं। जैनहोस्टल । कार्तिक शुक्रा ५ हीरालाल जैन सं० १९८० For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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