Book Title: Sanskrit Praveshika
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Tara Book Agency

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Page 58
________________ हलन्त पुं०] 1. व्याकरण सुहृदा सुहृद्भ्याम् सुहृद्भिः तृ. राज्ञा सुहृदे " मुहम्यः च. राशे [103 राजभ्याम् राजभिः राजयः " 102] संस्कृत-प्रवेशिका [6: शब्दरूप ऋत्विजम् ऋत्विजौ ऋत्विज द्वि० भूभतम् भूभूती भूभृतः ऋत्विजा ऋत्विग्भ्याम् ऋरिवग्भिः तृ भूभृता भूभृद्भ्याम् भूभृद्धिः ऋत्विजे " ऋत्विग्भ्यः च० भूभृते ऋत्विजः . . पं० भूभूतः " ____" ऋत्विजोः ऋत्विज्ञाम् " भूभृतो. भूभृताम् ऋत्विजि ऋत्विक्ष स० भूभृति " भूभृत्सु हे ऋत्विक् ! हे ऋत्विो ! हे ऋत्विजः ! सं० हे भूभृत् ! हे भूभृतौ! हे भूभृतः ! (24) तकारान्त 'भगवत्" (भगवान् ): (25) सकारान्त ('शत् प्रत्ययान्त) 'धावत् (दौड़ता हुआ): भगवान भगवन्ती भगवन्तः प्र. धावन् धावन्तो धावन्तः भगवन्तम् " भगवतः द्वि. धावन्तम् " धावतः हे भगवन् / हे भगवन्ती! हे भगवन्तः ! सं० हे धावन् ! हे धावन्तो ! हे धावन्तः! विशेष-दोनों के रूप शेष विभक्तियों में 'भूभृत' की तरह चलेंगे। (२६)दकारान्त 'सुदू" (मित्र): (27) नकारान्त (अनन्त) 'राजन' (राजा): सुहत-द् सुहृदी सुहृदः प्र. राजा राजानी राजानः सुहृदम् द्वि० राजानम् .. राज्ञः (कोयल), विश्वचित् (संसार-विषयी, यज्ञ विशेष) आदि / (ख) सरित (नदी), शुत् (छींक ), पृत (सेना), योषित् (स्त्री), विद्युत् (बिजली), तडित (बिजली), बादि तकारान्त स्त्री० शब्दों के भी रूप 'भूभत्' के समान चलेंगे। 1. इसी प्रकार--(क) धीमत् ( बुद्धिमान् ), बुद्धिमत् , श्रीमत् (भाग्यवान् ), आयुष्मत् (दीर्घायु), विद्यावत्, मलवद, धनुष्मद (धनुर्धारी), धनबत्, गुणवत्, रूपवत्, लज्जावत् (लज्जावान्), गतवत् (गया हुआ), उक्तवत् ( कथित ), जितवत् (विजित ), यावत् (जितना ), एतावत् (इतना ), कियत् (कितना), इयत् (इतना), भवत् (आप) भादि 'भतुप' (मत् या वत्) और क्तवतु ( तयत्) प्रत्ययान्त शब्द / (ख) महत् ( महान महान्तौ महान्तः / महान्तम् महान्ती महतः)। - 2. इसी प्रकार-(क) भवत् (होता हुआ), कुर्वत् (करने वाला), पठन (पढ़ने वाला, पढ़ता हुआ) आदि 'शतृ और 'स्यतृ' प्रत्ययान्त शब्द / (ख) ददत् (पुं० ददत् ददती ददतः / यवतम् ददतौ वदतः / स्त्री० ददत् ददती वदन्ति, ददति / ) 3. इसी प्रकार-(क) ब्रह्मविद (ब्रह्मज्ञ), तमोनुद् (अन्धकार हटाने वाला, सूर्य), वेदविद् (वेद का ज्ञाता), धर्म विद्, उद्भिद् (तरु, लता), निरापद् (आपद्-शून्य ), .. गोत्रभिद (इन्द्र), सभासद्, नचल्छि (नाखून काटने वाला), मर्मभिद् (रहस्य " सुहृदोः सुहृदाम्ब 0 // राशोः राज्ञाम सुहृदि " सुहृत्सु स० राशि,राजनि - राजसु हे सुहृत-द हे सुहृदौ! हे सुहृदः ! सं० हे राजन् ! हे राजानौ !हे राजानः! (28) अनन्त 'आत्मन्" (अपना, आत्मा): (29) अनन्त 'युवन्' (युवक) . आत्मा आत्मानौ आत्मानः प्र० युवा युवानौ युवानः आत्मानम् " आत्मनः द्वि० युवानम् " यूनः '. आत्मना यात्मम्याम् आत्मभिः तृ -यूना युवभ्याम् युवभिः / आत्मने " भात्मभ्यः 0 यूने .. 'युवम्बः आत्मनः // " पं. वून आत्मनोः आत्मनाम् प० - यूनोः यूनाम् आत्मनि आत्मसु स० यूनि , युवसु हे आत्मन् ! हे आत्मानौ ! हे आत्मानः ! सं० हे युवन् ! हे युवानी ! हे युवानः ! (30) इन्नन्त 'करिन् (हाथी): (31) इन्नन्त 'पथिन्' (पथ): करी करिणौ करिणः प्र. पन्थाः पन्थानौ पन्थानः करिणम् " " द्वि पन्थानम् " पथः करिणा करिभ्याम् करिभिः त. पथा पथिभ्याम् पथिभिः भेदन करनेवाला) आदि पुं० शब्द (ख) शरद् (पतझड़ ऋतु), आपद् (आपत्ति), विपद् (विपत्ति ), सम्पद् (धन), संसद् (सभा), परिषद् (सभा), दृशद् (पत्थर ), ककुद (चोटी), प्रतिपद (पड़वा तिथि.), मृद (मिट्टी), संविद (शान ), उपनिषद् (वेदान्त) बादि दकारान्त स्त्री० शब्दों के भी रूप 'सहद' की तरह चलेंगे। 1. इसी प्रकार-अश्मन् (पत्थर), यज्वन ( यागकर्ता ), ब्रह्मन् (विधाता), द्विजन्मन् (ब्राह्मण), अध्वन् (मार्ग) आदि / 2. इसी प्रकार-हस्तिन् (हाथी), गुणिन् (गुणी), मन्छिन् (मन्त्री), शशिन् (चन्द्रमा), अङ्गिन (सींग वाला), पक्षिन (पक्षी), बनिन् (धनी), वाजिन् (पोड़ा), तपस्विन्, अलिन् (बलवान् ), सुखिन् (सुखी), एकाकिन (अकेला), सत्यवादिन, स्वामिन् मानिन् , शरीरिन, देहिन, प्राणिन, सहवासिन्, सग्विन् (मालाधारी), मनस्विन्', यशस्विन् , मेधाविन् , मालिन (माली), शानिन्।' मनोहारिन्, अधिन् ( याचक ), वाजिन (गोड़ा), आत्मघातिन, सामिन (प्रेमी),

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