Book Title: Sanskrit Praveshika
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Tara Book Agency

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Page 86
________________ लद् 158] संस्कृत-प्रवेशिका [10 : धातुरूप परस्मैपद आत्मनेपद कथयति कथयतः / कथयन्ति प्र. कथयते कथयन्तें कथयसि कथयथः कथयथ म० कथयसे कथयेथे कथयध्वे कथयामिकथयावः कथयामः 0 कथये कथयावहे कथयामहे लङ अकथयत् अकथयताम् अकथयन् प्र० अकथयत अकथयेताम् अकथयन्त अकथयः अकथयतम् अकथयत म० अकथयथाः अकथयेथाम् कथयध्वम् अकथयम् अकथयाव अकथयाम उ० अकयये अकथयावहि अकबरामहि कथयिष्यति कथयिष्यतः कथयिष्यन्ति प्र० कथयिष्यते कथयिष्येते कथयिष्यन्ते कथयिष्यसि कथयिष्यथः कथयिष्यथ म कथयिष्यसे कथयिष्येथे कथयिष्यध्वे कथयिष्यामि कथयिष्यावः कथयिष्यामः उ० कथयिष्ये कथयिष्यावहे कथयिष्यामहे लोटू भाग 2: अनुवाद' ( Translation ) पाठ 1 : सामान्य वर्तमान काल ( Present Tense) उदाहरण-वाक्य [ 'लट् लकार का प्रयोग ](क) प्रथम पुरुष-पुंल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग 1. वह है % सः अस्ति। सा अस्ति। तद् अस्ति / 2. वे दोनों हैं तो स्तः। तेस्तः / ते स्तः। 3. वे सब हैं-ते सन्ति / ताः सन्ति / तानि सन्ति / (ख) मध्यम पुरुष (तीनों लिङ्गों में) (ग) उत्तम पुरुष (तीनों लिङ्गों में ) 4. तुम हो त्वम् असि / 7. मै हूँअहम् अस्मि / 5. तुम दोनों हो युवां स्थः। 8. हम दोनों हैं = आवा स्वः / 6. तुम सब हो = यूयं स्थ। हम सब हैं - वयं स्मः / (घ) अन्य प्रयोग 10. सीता जाती है = सौता गण्छति / 11. रमेश पढ़ता है - रमेशः पठति / 12. वे दोनों खेलते हैं = तौ क्रीडतः / 13. हम दोनों लिखते हैं = आवां लिखावः / 14. तुम हंसते हो = त्वं हससि / 15. तुम सब दौड़ते हो = यूयं धावथ / नियम-१. क्रिया कर्ता के पुरुष और वचन के अनुसार होती है। 2. कर्ता के लिङ्ग का क्रिया पर असर नहीं पड़ता है। 3. 'असमद्' और, युष्मद्' शब्दों के रूप तीनों लिङ्गों में समान होते हैं। 4. सामान्य वर्तमानकाल में लट् लकार की क्रिया होती है।' कथयतु-तात् कथयताम् कषय-तात् कथयतम् कथयानि कथयाव कथयन्तु प्र० कपयताम् कथयेताम् कथयन्ताम् कथयत म कथयस्व कथयेथाम् कथयध्वम् कथयाम उ० कथय कथयावहै कथयामहै विधिलिक कथयेयुः प्र. कथयेत कथयेयाताम् कथयेरन् कथयेत म. कथयेथाः कथयेयाथाम् कथयेध्वम् कथयेम उ० कथयेय कथयेवहि कथयेमहि कथयेत् कथयेताम् कययेः कथयेतन कथयेयम् कथयेव 1. किसी भाषा के शब्दों एवं विचारों को भाषान्तर में बदलना अनुवाद है / भाव हीन केवल शब्दानुवाद कभी-कभी हास्यास्पद हो जाता है। जैसे-वह मुँह देखी करता है सः मुखं दृष्ट्वा करोति / इसके स्थान पर 'पक्षपातं करोति सः' ऐसा अनुवाद करें / अङ्ग-अङ्ग में जवानी भर गई अङ्गेषु यौवनं सन्नद्धम् / 2. 'लट् लकार का प्रयोग शाश्वत सत्य या वस्तु के स्वभाव को सूचित करने के लिए (जैसे-किं कि न साधयति कल्पलतेव विद्या। नद्यः प्रवहन्ति ) तथा

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