Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01 Author(s): Kamtaprasad Jain Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 9
________________ (८) संक्षिप्त जैन इतिहास। [लेखक-बाबू कामताप्रसारजी जैन । ] प्रथम भाग-यह ईस्वीसन पूर्व ६०० वर्षसे पहिलेका इतिहास है । इसके ६ परिच्छेदोंमें जैन भूगोलमें भारतका स्थान, ऋषभदेव और कर्मभूमि, अन्य तीर्थंकर आदिका वर्णन है । थोड़ीसी प्रतियां बची हैं। मूल्य ॥3) दुसरा भागः प्रथम खण्ड-यह ईश्वी सन् पूर्व छठी शताब्दीसे सन् १३०० तकका प्रामाणिक जैन इतिहास है। इसे पढ़कर मालूम होगा कि पहले जमाने में जैनोंने कैसी वीरता बतलाई थी। इसमें विद्वत्तापूर्ण प्राकथन, म० महावीर, वीरसंघ और अन्य राजा, तत्कालीन सभ्यता और परिस्थिति, सिकन्दरका आक्रमण और तत्कालीन जैनसाधु, श्रुतकेवली, भद्रबाहु और अन्य भाचार्य, तथा मौर्य सम्राट् चन्द्रगुप्त आदिका १२ अध्यायोंमें विशद वर्णन है। पृष्ठ संख्या ३०० मू० १॥) दुसरा भागः द्वितीय खंड-इसमें अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विषयोंका सप्रमाण कथन किया गया है। यथा-चौवीस तीर्थकर, जैन धर्मकी विशेषता, दिगम्बर संघभेद, श्वे० की उत्पत्ति, उपजातियोंकी उत्पत्ति और इतिहास, उत्तरी भारतके राजा और जैनधर्म, मवालियरके राजा व जैनधर्म, मुनिधर्म, गृहस्थ धर्म, अजैनोंकी शुद्धि, जैन धर्मकी उपयोगिता आदि १२५ विषयों का सुबोध और सप्रमाण कथन है । पृ० २०० मूल्य १०) मैनेजर, दिगम्बरजैनपुस्तकालय-सूरत । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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