________________
अध्ययन का प्रारम्भ-४६
इस उदाहरण को सामने रखकर तुम अपने विषय में विचार करो कि ससार की वस्तुओ के प्रति तुम्हारा क्या कर्तव्य है ? ससार की वस्तुएँ तुम्हे छोडे और तुम उन वस्तुओ को छोडो, इन दोनो मे कुछ अन्तर है या नही ? दोनो का अन्तर समझकर अपना कर्तव्य निर्धारित करो ।
तुम्हारे काले बाल सफेद हो गये है। यह तुम्हारी इच्छा से हुआ या अनिच्छा से ही ? तुम तो अपने बाल काले ही रखना चाहते थे, लेकिन ऐसा नही हुआ । वह सफेद हो गये । यह बाल तुम्हे चेतावनी दे रहे हैं कि जव तुम हमे ही अपने काबू मे नही रख सके तो और-और वस्तुओ पर क्या काबू रख सकोगे | सभी चीजे हमारी ही तरह बदलने वाली है।
__ इस कथन का आशय यह नही कि तुम अपना शरीर नष्ट कर दो । आशय यह है कि शरीर पर भी ममता मत रखो । जैसे गौतमस्वामी शरीर में रहते हुए भी शरीर के प्रति ममत्वहीन थे, उसी प्रकार तुम भी निर्मम बनने का अभ्यास करो । गौतमस्वामी शरीर में रहते हुए भी अगरीरी थे । तुम भी उन सरीखे बनो। कदाचित् उनके समान ऊँची स्थिति प्राप्त नही कर सकते तो भी कम से कम इतना तो करो कि शरीर के लिए दूषित खान-पान का सेवन करना छोडो ।
कितनेक लोग शरीर-पोषण के लिए धर्म को बाधा पहुंचाने वाली चीजे खाते हैं। मगर इससे क्या शरीर चिरस्थायी बन सकता है ? नही तो धर्म से पतित क्यो होना चाहिए ? अतएव तुम कम से कम ऐसा अनुचित, कार्य तो