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१०२-सम्यमत्वपराक्रम (१) प्राप्त करेगा। ऐसा किये विना वह रह नही सकता । "जिमें कड़ाके की भूख लगी होगी वह भूख की पीडा मिटाने का प्रत्येक सभव उपाय करेगा । उसे ऐसा करना किसने सिखर लाया ? इस प्रश्न के उत्तर मे यही कहना होगा कि भूख के दुख, ने ही यह सिखलाया है, क्योकि आवश्यकता ही आविष्कार की जनती है । कपडे किसलिए पहने जाते है ?. इस प्रश्न के उत्तर मे यही कहा जायेगा कि सर्दी-गर्मी से बचने के लिए और लज्जा-निवारण के लिए ही वस्त्र पहने जाते है । घर भी सर्दी-गर्मी से बचने के लिए बनाया जाता है। यह बात दूसरी है कि उसमे फैगन को स्थान दिया जाता है, मगर उसके बनाने का मूल उद्देश्य तो यही है । इसी प्रकार जिसे संसार दुखमय प्रतीत होगा वह सवेग को वारण करेगा ही और इस तरह अपनी धर्मश्रद्धा को मूर्तरूपा दिये विना नहीं रहेगा । जहाँ सवेग है वहाँ मोक्ष की अभिलापा और धर्मश्रद्धा भी अवश्य हातो है । इस प्रकार जहाँ सवेग है वहाँ धर्मश्रद्धा है और जहाँ धर्मश्रद्धा है वहाँ मवेग है । धर्मश्रद्धा जन्म, जरा, मरण आदि दु खो से मुक्त होने का कारण है और सवेग भी इन दुःखो से मुक्त कर मोक्षप्राप्ति की अभिलापा को पूर्ण करने के लिए ही होता है । इस प्रकार धर्मश्रद्धा और सवेग एक दूसरे के आधारभूत हे-दोनो मे अविनाभाव सबध है | ?
धर्मश्रद्धा भी दो प्रकार की होती हैं। एक धर्मश्रद्धा ससार के लिए होती है और दूसरी सवेग के लिए । 'कुछ ऐसे लोग है जो अपने आपको धार्मिक कहलाने के लिए और अपने दोपो पर पर्दा डालने के लिए धर्म क्रिया करने का ढोग करते है । किन्तु भगवान् के कथनानुसार ऐसी धर्मक्रिया सवेग के