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१६६ - सम्यक्त्वपराक्रम (१)
की एक रानी हो गई है । उसमे धर्म का इतना अभिनिवेश था कि कदाचित् कोई ईसाई धर्म के विरुद्ध जीभ खोलता तो वह उसे जिंदा ही आग मे होम देने में सकोच नही करती थी । औरगजेब ने भी धर्म के नाम पर अमानुषिक अत्याचार किया था । इस प्रकार धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के अत्याचार, अन्याय, सितम, जुल्म किये गये है | धर्म के कारण ही रामचन्द्रजी को अयोध्या का राज्य त्याग करके वन मे भटकना पडा था धर्म के नाम पर ही रामचन्द्रजी ने सीता की अग्निपरीक्षा की थी । धर्म के कारण ही द्रौपदी को वनवास स्वीकार करना पडा था। धर्म की बदौलत ही पाण्डवो को तरह-तरह की तकलीफे झेलनी पडी थी । धर्म कारण ही नल दमयती को भी असह्य कष्ट सहन करने पडे थे । इस प्रकार धर्म के कारण सब को कष्ट सहने पडे है ।
इस प्रकार धर्म की निन्दा करते हुए लोग कहते है कि धर्म ने दुनिया को बहुत कष्ट दिया है । कुछ लोग इतने मे ही सतोष न मानकर धर्म और ईश्वर के बहिष्कार का बीडा बडे जोश के साथ उठा रहे है ।
जो लोग धर्म और ईश्वर को इस प्रकार त्याज्य समभते हैं, उनसे जरा पूछा जाये कि - ससार मे जो अन्याय, अत्याचार और जुल्म किया गया है, उसका वास्तविक कारण क्या है - धर्म, धर्मभ्रम या धर्मान्धता ? अगर इस प्रश्न पर शान्ति के साथ तटस्थ भाव से विचार किया जाये तो धर्म और धर्मभ्रम का अन्तर स्पष्ट दिखाई देने लगेगा | धर्म के नाम पर प्रकट किये जाने वाले भूतकालीन और वर्त्त